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Women Reservation Bill: संसद के विशेष सत्र के बीच कैबिनेट की अहम बैठक हूई जिसमे महिला आरक्षण विधेयक को पास किया गया है। बिल को हरी झंडी मिलने के बाद इसे अब संसद के विशेष सत्र में पेश किया जाएगा। इसी बीच केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि, “महिला आरक्षण की मांग को पूरा करने का नैतिक साहस केवल मोदी सरकार मे ही था। कैबिनेट की मंजूरी से यह साबित हो गया है।”
बता दें कि,महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा व राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रावधान शामिल है। लैंगिक समानता और समावेशी शासन की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम होने के बावजूद भी, यह विधेयक काफी लंबे समय से अधर में ही लटका हुआ है।
महिला आरक्षण विधेयक को एचडी देवगौड़ा की सरकार के समय 12 सितंबर 1996 को संसद में पेश किया गया था। तब से लेकर अभी तक यह बिल 27 वर्षों से ज्यादा समय से लंबित है। जानकारी के लिए, इस विधेयक का मुख्य लक्ष्य महिलाओं के लिए लोकसभा के साथ सभी राज्य विधानसभाओं में 15 साल के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित करना सुनिश्चित है।
पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने भी 1998 में लोकसभा में इस विधेयक को आगे बढ़ाया था, लेकिन फिर भी यह पारित न हो सकी। अटल ने 1998 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने भाषण में 33 फीसदी आरक्षण को लेकर बात किया था।
इसके बाद यूपीए-1 की सरकार के समय 6 मई, 2008 को इस विधेयक को राज्यसभा में दूसरी बार पेश किया गया। यह महिला आरक्षण विधेयक 9 मई, 2008 को स्टैंडिंग कमेटी को भेजा गया था। स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट 17 दिसंबर, 2009 को पेश किया गया। केंद्रीय कैबिनेट ने फरवरी 2010 में इस विधेयक को मंजूरी दे दी थी और फिर 9 मार्च, 2010 को राज्यसभा से पारित भी हो गया, लेकिन लोकसभा में यह लंबित रहा। आरजेडी और समाजवादी पार्टी ने जाति के हिसाब से इस महिला आरक्षण की मांग करते हुए इसका विरोध किया था।