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UPPSC Exam Row: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की प्रस्तावित पीसीएस और आरओ-एआरओ प्रारंभिक परीक्षा दो दिन में कराने को लेकर छात्र आंदोलन कर रहे थे। आयोग ने छात्रों की बात मान ली है और अब पीसीएस प्री परीक्षा एक ही दिन और एक ही पाली में होगी। छात्र परीक्षा में लागू किए जाने वाले नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूले के भी खिलाफ थे। आइए जानते हैं क्या है पूरा विवाद?
कब होनी थी परीक्षा?
दरअसल, 12 जनवरी 2024 को यूपीपीएससी ने एक वार्षिक कैलेंडर जारी किया था। इस कैलेंडर में उन सभी परीक्षाओं की तिथि का जिक्र था जो प्रदेश के सबसे प्रतिष्ठित चयन आयोग द्वारा आयोजित की जाती हैं। इसके मुताबिक समीक्षा अधिकारी-सहायक समीक्षा अधिकारी यानी आरओ-एआरओ की प्रारंभिक परीक्षा की तिथि 11 फरवरी थी। वहीं, मुख्य परीक्षा 28 जुलाई को होनी थी। इसी तरह पीसीएस 2024 की प्रारंभिक परीक्षा की तिथि 17 मार्च थी। जबकि पीसीएस की मुख्य परीक्षा के लिए 7 जुलाई की तिथि तय की गई थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पीसीएस की परीक्षाएं स्थगित कर दी गईं। वहीं, समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी की परीक्षा 11 फरवरी को हुई थी, लेकिन परीक्षा के दौरान खबर आई कि कुछ छात्रों के पास पहले से ही परीक्षा का प्रश्नपत्र था। यानी पेपर लीक हो गया था। मामले में एसटीएफ ने जांच शुरू की। 2 मार्च को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आदेश दिया कि 11 फरवरी को हुई परीक्षा को रद्द कर दिया जाए और छह महीने में दोबारा परीक्षा कराई जाए।
इसके बाद 3 जून को नई अधिसूचना जारी की गई। इसमें घोषणा की गई कि पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा 27 अक्टूबर को होगी। जबकि, समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी की प्रारंभिक परीक्षा 22 दिसंबर को होगी, लेकिन ऐसा भी नहीं हुआ। दोनों परीक्षाओं की तिथि फिर बदल दी गई।
यूपीपीएससी की पीसीएस परीक्षा प्रदेश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा मानी जाती है। पहले यह परीक्षा एक दिन में कराई जाती थी। लेकिन, आरओ/एआरओ 2023 प्री परीक्षा में पेपर लीक होने के बाद आयोग ने ऐसी परीक्षाएं दो दिन में कराने का फैसला किया है, जिसे नॉर्मलाइजेशन कहते हैं।
चूंकि दो दिनों में आयोजित परीक्षा के प्रश्नपत्र में अलग-अलग सवाल होते हैं। कई बार ऐसा होता है कि पहली शिफ्ट का प्रश्नपत्र सामान्य होता है। ऐसे में पहली शिफ्ट में बैठे छात्र ज्यादा सवाल हल कर लेते हैं, जबकि अगली शिफ्ट में कठिन सवाल आ जाते हैं। ऐसे में अभ्यर्थी ज्यादा सवाल हल नहीं कर पाते हैं। इसके साथ ही जिन शिफ्ट में परीक्षा आयोजित होती है, उन सभी के आधार पर नॉर्मलाइजेशन किया जाता है।
आपको बता दें पीसीएस 2024-प्री परीक्षा के लिए 5 लाख से अधिक अभ्यर्थी पंजीकृत हैं, जबकि आरओ-एआरओ 2023 प्री परीक्षा के लिए 10 लाख से अधिक अभ्यर्थी पंजीकृत हैं।
प्रतियोगी छात्रों की मांग है कि पीसीएस-प्री और आरओ-एआरओ-प्री की परीक्षाएं एक ही दिन कराई जाएं और नॉर्मलाइजेशन लागू न किया जाए। क्योंकि नॉर्मलाइजेशन लागू होने से उन्हें नुकसान होगा। साथ ही आयोग के हाथ में भी बहुत कुछ चला जाएगा।
सीएम योगी की पहल पर आयोग ने कल पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा के पुराने पैटर्न पर एक दिन और एक पाली में कराने की मांग मान ली। इसके अलावा आरओ एआरओ की भर्ती परीक्षा स्थगित कर दी गई और इसको लेकर अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है। घोषणा की गई कि परीक्षा का पैटर्न तय करने के लिए कमेटी बनाई जाएगी। कहा गया कि कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर फैसला लिया जाएगा। हालांकि आंदोलनकारी छात्रों ने आयोग के इस बयान को नहीं माना। उनका कहना था कि उनकी मांग दोनों परीक्षाएं पुराने पैटर्न पर कराने की है।