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Globegust,ग्लोबबस्ट,Uttar Pradesh: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को लखीमपुर के थारू समुदाय से वर्चुअल संवाद करेंगे। जिसके बाद से लखीमपुर खीरी के थारू जनजाति के लोगों के लिए उम्मीद सी जग उठी है। जहां पलिया के चंदनचौकी में इसको लेकर कार्यक्रम भी आयोजित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री से संवाद के लिए लोगों में खासा उत्साह भी देखने को मिल रहा है। मिली जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थारू जनजातियों के साथ आज यानी शनिवार दोपहर तीन बजे से 4.30 बजे तक वर्चुअल संवाद करेंगे। वैसे तो इस संवाद में केवल प्रधानमंत्री बोलेंगे और लोग सुनेंगे। लेकिन लोगों के मन में चल रहे विचार को जानने के लिए इस वार होने वाले संवाद में कुछ नया किया गया है। जिसके बाद एस लिंक के माध्यम से प्रधानमंत्री किसी से बात भी कर सकते हैं।
कार्यक्रम में राज्यगृह मंत्री रहेंगे मौजूद
मिली जानकारी के अनुसार आपको बता दें कि, प्रधानमंत्री के इस संवाद में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी भी चंदन चौकी में थारुओं के बीच मौजूद रहेंगे। टेनी चंदनचौकी में सीएचसी का उद्घाटन और आठ प्रसव केंद्रों का वर्चुअल लोकार्पण भी करेंगे। इसके साथ ही बजाही गांव में इंटरलॉकिंग रोड और सोलर स्ट्रीट लाइट का लोकार्पण करेंगे। चंदनचौकी में थारूओं को बीमारी के प्रति जागरूक करेंगे।
सेल एनीमिया नामक बीमारी है चिंता का विषय
बता दें कि, इस संवाद का मुख्य लक्ष्य सिकल सेल एनीमिया नामक बीमारी से वहां के जनजाति को सचेत करना है। बता दें कि, कोरोना महामारी के बाद अब सिकल सेल एनीमिया बीमारी का लगातार जनजातियों में फैसाव भयावह है। वहीं जारी रिपोर्ट के अनुसार बताया गया है कि, एनीमिया एक प्रकार की आनुवांशिक बीमारी है। सिकल सेल में रोगी की लाल रक्त कोशिकाएं हंसिए के आकार में परिवर्तित हो जाती हैं। हंसिए के आकार के ये कण शरीर के विभिन्न अंगों में पहुंचकर रुकावट पैदा करते हैं। इस जन्मजात रोग से ग्रसित बच्चा शिशु अवस्था से बुखार, सर्दी, पेट दर्द, जोड़ों एवं घुटनों में दर्द, सूजन और कभी रक्त की कमी से परेशान रहता है। लगातार फैल रही इस बीमारी को खत्म करने के लिए भारत सरकार एक अभियान चला रही है, जिसमें सरकार का लक्ष्य है कि साल 2047 तक सिकल सेल एनीमिया को भारत से खत्म कर दिया जाए।
शिक्षा पर नजर
बता दें कि, थारू जनजातियां के शैक्षिक विकास के लिए थारू क्षेत्र के सोनहा चंदनचौकी में एकलव्य मॉडल स्कूल संचालित है। कक्षा छह से 12 तक के इस विद्यालय से शिक्षित बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं में अच्छी सफलता हासिल कर रहे हैं। इसके अलावा तीन आश्रम पद्धति विद्यालय चंदनचौकी, बेला परसुआ और छाउछ में चल रहा है। थारू बालिकाओं के लिए पलिया में एक छात्रावास तैयार है, जिसमें 100 छात्राओं के रहने की व्यवस्था है। बालकों के लिए एक छात्रावास निघासन में निर्माणाधीन है। पुरैना में एक पुस्तकालय की स्थापना की गई है।
ओडीओपी से जग रहे है रोजगार के अवसर
मिली जानकारी के अनुसार थारू हस्तशिल्प को एक जिला एक उत्पाद (ODOP) में चयनित किया गया है। इसके तहत थारू महिलाओं के स्वयं सहायता समूह गठित कर थारू हस्तशिल्प उत्पादन किया जा रहा है। बांस, जूट और घास फूस और कपड़ों से बने यह उत्पाद देश में ही नहीं विदेशों में भी अपनी धाक जमा रहे हैं। स्थानीय स्तर पर लगने वाली प्रदर्शनियों के अलावा महानगरों में थारू महिलाएं अपने स्टॉल लगाकर अपने उत्पाद बेच रही हैं। इसका सालाना टर्नओवर एक करोड़ से अधिक है। इसमें करीब 5000 महिलाओं को रोजगार मिला है।