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देश में इन दिनों सामान्य नागरिक संहिता को लेकर काफी विवाद चल रहा है। जिसके बाद इस विषय पर नोबेल पुरस्कार विजेता और अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, भारत में सामान्य नागरिक संहिता लागू करना काफी मुश्किल भरा काम है। इसके लिए काफी मेहनत चाहिए। यूसीसी हिंदू राष्ट्र की थ्योरी से मेल खाता है। भारत में अधिक भिन्नताएं हैं। भारत में कई सारे धर्म हैं। भारत में कई रीति-रिवाज है। हमें इसे हटाना चाहिए और हमें उन मतभेदों को दूर करके एकजुट करने की जरूरत है। उन्होंने पत्रकार से कहा कि मैंने अखबार में इसके बारे में पढ़ा है, सामान्य नागरिक संहिता को लागू करने में देरी नहीं करना चाहिए। इसके बाद हिंदू राष्ट्र और यूसीसी के बीच समानता के सवाल पर अमर्त्य सेन ने कहा कि, हां, हिंदू राष्ट्र का यूसीसी से संबंध है। लेकिन प्रगति के लिए सिर्फ हिंदू राष्ट्र ही एकमात्र रास्ता नहीं है। बता दें कि, नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन एक जाने-माने अर्थशास्त्री भी हैं। इतना हीं नही अमर्त्य सेन को भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया है।
यूसीसी संविधान का हिस्सा- पीएम मोदी
बता दें कि, यूसीसी को लेकर लगातार भाजपा बातें करती आ रही है। जिसके बाद विधि आयोग ने 14 जून को उस प्रस्ताव के बारे में 30 दिनों के भीतर जनता और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों से विचार मांगकर यूसीसी पर अपनी कवायद फिर से शुरू कर दी थी। सुत्रों की माने तो यह बिल आने वाले संसदीय सत्र में पेश हो सकता है। वहीं 27 जून को, पीएम मोदी ने भोपाल में यूसीसी के बारे में बात करते हुए कहा कि, देश दो कानूनों पर नहीं चल सकता है और समान नागरिक संहिता संविधान का हिस्सा है। भाजपा के 2019 के लोकसभा चुनाव घोषणापत्र में, पार्टी ने सत्ता में आने पर यूसीसी को लागू करने का वादा किया था।
क्या है यूसीसी?
बता दें कि, यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ है भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा। इसका अर्थ है एक निष्पक्ष कानून, जिसका किसी धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है।