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Bangladesh Violence: बांग्लादेश हिंसा से प्रभावित अल्पसंख्यक हिंदुओं को इस बार की जनमाष्टमी हमेशा याद रहेगी क्योंकि ये केवल नाम का त्यौहार सा लग रहा है। बता दें कि 5 अगस्त को न सिर्फ शेख हसीना को देश से निकाला गया था बल्कि हिंदुओं की जान पर खतरा मंडरा रहा था। मंदिरों को जलाया गया, घरों को भस्म कर दिया। हालांकि अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने ऐलान तो कर दिया है कि धर्मों और उनके त्यौहारों में किसी प्रकार का भेदभाव न किया जाए लेकिन इस जनमाष्टमी पूरे बांग्लादेश में शांति बनी हुई है। डर के मारे लोग अपने घरों में कृष्ण जन्म की तैयारियां कर रहे हैं, सार्वजनिक तौर पर काफी कम जगहों पर मनाते दिख रहे हैं।
बता दें कि भारत-बांग्लादेश सीमा पर बांग्लादेश के मेहरपुर जिले में तख्तापलट के बाद उपद्रवियों द्वारा आग लगाए गए इस्कॉन मंदिर में भी जन्माष्टमी का त्योहार नहीं मनाया जा रहा है। मंदिर के पुजारी सम्मोहन मुकुंदा दास ने एक वीडियो जारी कर कहा कि मंदिर में आगजनी और लूटपाट की घटना के बाद इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी नहीं मनाई जा रही है।
बांग्लादेश में पांच अगस्त को तख्तापलट के बाद हिंसक भीड़ ने अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया, कई मंदिरों में लूटपाट की और आग लगा दी थी। इस घटना के बाद भारत ने हिंदुओं की सुरक्षा का मुद्दा उठाया था। हिंसा में अल्पसंख्यक हिंदुओं के साथ हुई बर्बरता के बाद हिंदुओं ने अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद ली थी। पुराने शहर के इलाके में रहने वाले अल्पसंख्यक हिंदू रातभर जागकर पहरा दे रहे थे।
हिंदू कॉलोनी के बाहर समुदाय के युवा हाथों में लाठी लेकर उनकी कॉलोनी की ओर जाने वाली सड़कों पर गश्त कर रहे थे, ताकि बांग्लादेश के अन्य इलाकों में हिंदुओं के घरों और मंदिरों के साथ जो हुआ, उसकी पुनरावृत्ति न हो।