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बिहार

News by Neha   08 Mar, 2025 15:13 PM

Nalanda Brutal Murder: भारतीय सरकार एक तरफ अंतरिक्ष में पहुंचकर चांद और सूरज की सतह का अध्ययन कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर धरती पर भारतीय नागरिक अपराध की नई सीमाएं रच रहे है। मैं ऐसा इसलिए कह रही हूं, क्योंकि हालही में बिहार के नालंदा जिले में हुए एक अमानवीय अपराध ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। 

एक महिला की लाश एनएच-431 के किनारे मिली, जिसके तलवों में 9 कीलें ठोंकी गई थीं। शरीर पर भस्म लगी थी और बाएं हाथ में स्लाइन सेट था। यह दृश्य इतना भयावह था कि जिसने भी देखा, उसके रोंगटे खड़े हो गए। महिला कौन थी? उसकी इतनी बेरहमी से हत्या क्यों की गई? क्या यह अंधविश्वास का नतीजा है या फिर किसी बड़े षड्यंत्र का हिस्सा? इन सवालों के जवाब अब तक नहीं मिले हैं, लेकिन इस हत्याकांड ने पूरे राज्य की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

पुलिस भी हैरान

हिलसा-1 के डीएसपी सुमित कुमार ने बताया कि शव पर भस्म की परत लगी हुई थी, और महिला के गले पर चोट के गहरे निशान थे। सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि उसके पैरों में कीलें ठोंकने के बावजूद घटनास्थल पर खून का एक भी निशान नहीं मिला। यह संकेत करता है कि महिला की कहीं और हत्या कर शव को यहां फेंका गया।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह घटना किसी तांत्रिक अनुष्ठान से जुड़ी हो सकती है। अक्सर ऐसे मामलों में कहा जाता है कि किसी व्यक्ति की आत्मा को बांधने या किसी विशेष सिद्धि प्राप्त करने के लिए इस तरह की क्रूरता की जाती है।

राजनीति भी गरमाई

इस दर्दनाक घटना पर राजनीति भी तेज हो गई है। आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने इसे बिहार की कानून-व्यवस्था की असफलता बताया। वहीं, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने इसे शर्मनाक करार दिया। सीपीआई के राज्य सचिव रामनरेश पांडेय ने सरकार से मांग की कि दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर सख्त सजा दी जाए। क्योंकि नालंदा नीतीश कुमार का गृह जिला है, इसलिए उनपर दबाव ज्यादा है। 

स्थानीय लोगों का कहना है कि जब राज्य के सबसे सुरक्षित कहे जाने वाले जिले में इस तरह की घटना हो सकती है, तो आम जनता की सुरक्षा का क्या होगा?

अंधविश्वास और अपराध का घिनौना गठजोड़

भारत में कई इलाकों में आज भी तंत्र-मंत्र और अंधविश्वास के नाम पर महिलाओं को निशाना बनाया जाता है। कभी डायन बताकर, तो कभी बलि देने के नाम पर उनकी हत्या कर दी जाती है। यह घटना भी कहीं इसी मानसिकता का नतीजा तो नहीं? नालंदा की यह घटना सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि हमारे समाज के उन घिनौने अंधेरों की परछाईं है, जिन्हें अब तक खत्म हो जाना चाहिए था। 

 

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