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RG Kar Medical Hospital: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल अस्पताल में 9 अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर का रेप और मर्डर हुआ जिसके बाद सीबीआई से लेकर सुप्रीम कोर्ट इस मामले की जांच में जुट गए हैं। कोलकाता पुलिस, राज्य सरकार और इसी के साथ कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को कटघेरे में लिया गया है। आज हम आपके सामने संदीप घोष के सच से पर्दा उठाएंगे ताकि आप भी सच्चाई से वाकिफ हों।
कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने आज निजाम पैलेस स्थित सीबीआई कार्यालय का दौरा किया और मामले से संबंधित आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराए। सीबीआई ने ये दस्तावेज प्राप्त करने के बाद एफआईआर दर्ज की और आज अलीपुर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) कोर्ट को एक कॉपी सौंपी।
इसी से संबंधित घटनाक्रम में, दिल्ली स्थित केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) के विशेषज्ञों की एक टीम एक प्रशिक्षु डॉक्टर के कथित बलात्कार और हत्या के सिलसिले में आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और अन्य पर पॉलीग्राफ टेस्ट करने के लिए कोलकाता पहुंची। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सीबीआई को डॉ. संदीप घोष और घटना में शामिल पांच अन्य लोगों पर पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की अनुमति दे दी है, जिसमें मुख्य आरोपी संजय रॉय, चार डॉक्टर और एक स्वयंसेवक शामिल हैं।
न्यायालय ने सीबीआई को जांच की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए तीन सप्ताह की समय सीमा दी है, जो 17 सितंबर को प्रस्तुत की जानी है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार और हत्या से संबंधित स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई करते हुए आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की सुरक्षा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) को सौंपने का आदेश दिया है। यह निर्णय पश्चिम बंगाल में चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच आया है, और सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती से सुरक्षा उपायों को बढ़ाने और सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने की उम्मीद है।
तो चलिए अब संदीप घोष के अतीत से पर्दा उठाने का समय आ गया है और बताते हैं कि सीबीआई की चपेट में कैसे ये आए? संदीप घोष के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। बता दें कि लावारिस लाशों की हेराफेरी करते थे और वेस्ट की अदला बदली करते थे। 2021 में आर जी कर मेडिकल अस्पताल में ये प्रिंसिपल के पद पर आए और कुछ समय बाद ही भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद मुर्शिदाबाद कॉलेज में ट्रांसफर कर दिए गए। अंदाजा लगाइए, मामला दर्ज कराने के समय इनका ट्रांसफर कर दिया गया और केवल यही नहीं 30 दिनों के भीतर ही ये वापिस से आर जी कर मेडिकल अस्पताल के प्रिंसिपल बन जाते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स में संदीप घोष के खुलासे हुए हैं जिससे पता चला कि ये ममता बनर्जी के करीबी हैं। संदीप के जन्मदिन पर ममता दीदी ने इन्हें पत्र भी लिखा था। सोचिए जब इनके काले सच सामने आने थे तब राज्य सरकार पीछे हटती गई लेकिन जहां रिश्ते निभाने थे वहां सबसे पहले ममता दीदी आई। बताया जा रहा है कि इस कॉलेज के बच्चे करप्शन का साथ देते थे लेकिन अब आप बच्चों को भी कैसे गलत ठहराएंगे जब प्रिंसिपल ही ऐसा है?