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Ramanand Sagar Ramayan Story: रामानंद सागर कृत रामायण टीवी की दुनिया का कालजयी सीरियल है. सीरियल के पात्र, संवाद, फिल्मांकन, युद्ध के सीन ने दर्श्कों का मन मोह लिया था. रामायण को बनाने, उसके शुरुआती विचार की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है. रामानंद सागर को रामायण बनाने का आइडिया स्विटजरलैंड की धरती पर आया था. फिल्म चरस की शूटिंग के दौरान रामानंद के साथ कुछ ऐसा हुआ कि उन्होंने फिल्मों से तौबा करने और धार्मिक सीरियल बनाने का फैसला. आइये जानते हैं इस ऐतिहासिक टीवी शो की पूरी कहानी.....
नई दिल्ली. साल 1987 में ठंड का समय था और हजारों घरों में टेलिविजन ने दस्तक दे दी थी. 25 जनवरी को रमानंद सागर की रमायाण का पहला एपिसोड प्रसारित हुआ. कुछ ही दिनों में रामायण ने घर-घर में पैठ बना ली. रामायण के पात्र, फिल्मांकन, किरदार और संवादों ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया. राम, लक्ष्मण और सीता का किरदार निभाने वाले अभिनेताओं में आज भी कई लोग भगवान का रूप देखते हैं. रामायण के बनने की कहानी भी काफी अनोखी है. फिल्मों की दुनिया में मशगूल रामानंद सागर जब फ्रांस में चरस फिल्म की शूटिंग कर रहे थे तो एक दिन शाम को उनके मन में राम का संदेश जागा और उन्होंने रामायण बनाने का फैसला लिया.
रामानंद सागर की बॉयग्राफी फ्राम बरसात टू रामायण (From Barsat to Ramayan) लिखने वाले उनके बेटे प्रेम सागर ने किताब में इसका जिक्र किया है. प्रेम सागर बॉयोग्राफी में लिखते हैं कि साल 1976 में चरस फिल्म की शूटिंग फ्रांस में चल रही थी. फिल्म में धर्मेंद्र और हेमा मालिनी काम कर रहे थे. दिनभर शूटिंग के बाद रामानंद एक कैफे में जा पहुंचे. सर्दियों का समय था तो रामानंद ने वाइन ऑर्डर की और इंतजार करने लगे. कैफे में जब वेटर वाइन लेकर आया तो उसने सामने रखे एक बॉक्स को खोला और टीवी ऑन कर दी. टीवी ऑन होती ही उसमें रंगीन फिल्म चलने लगी. ये देखते ही रामानंद की आंखें चमक उठीं.
छोड़ दी फिल्मों की दुनिया और रंगीन टीवी का पाला ख्वाब
इसके बाद रामानंद ने फैसला लिया कि अब वे फिल्मों का काम छोड़कर टीवी की दुनिया में एंट्री लेंगे और भगवान राम, श्री कृष्ण और मां दुर्गा की कहानी टीवी पर बताएंगे. ये सपना रामानंद के जहन से कई साल पल रहा था जिसे इस रंगीन टीवी ने उड़ने को आकाश दे दिया था. इसके बाद फिर रामानंद अपने देश वापस लौट आए. रामानंद ने टीवी के लिए काम करना शुरू कर दिया. साल 1976 में रामानंद सागर ने रामायण के प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर दिया.
10 सालों की कड़ी मेहनत के बाद तैयार हुआ सीरियल
करीब 10 सालों तक कड़ी मेहनत और जटिल संघर्ष के बाद रामानंद ने ऐसा सीरियल बनाया कि हिंदुस्तान के घर-घर में शाम को रामायण का इंतजार होने लगा. दूरदर्शन पर आने वाला यह सीरियल टीवी के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गया है.
करीब 3 दशकों बाद कोरोना महामारी के दौर में जब इस सीरियल को फिर से ऑनएयर किया गया तो इसकी टीआरपी ने आधुनिक सीरियल्स को भी धूल चटा दी. पूरे हिंदुस्तान ने एक बार फिर से रामायण को देखा और युवा पीढ़ी भी इस सीरियल से अछूती नहीं रही.