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बिहार

News by Shubham   01 Aug, 2023 06:13 AM

Prashant Kishor In Samastipur: बिहार की राजनीति में इन दिनों जोरदार गर्माहट देखने को मिल रही है। जिसका कारण जन सुराज के सुत्रधार प्रशांत किशोर के द्वारा कई महीनों से चल रही पदयात्रा है। जिसके जरिए प्रशांत किशोर बिहार के हर में पहुंचकर लोगों से मिल रहे है और बिहार सरकार हो या केंद्र सरकार हो दोनों पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं छोड़ते है। बता दें कि, देश के रणनीतिकार माने जाने वाले और जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर अभी अपने पदयात्रा के दौरान समस्तीपुर रे रोसड़ा में है। जहां उन्होनें एक बार फिर बिहार सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि, जन सुराज व्यवस्था नहीं बनाएंगे तो कल होकर समाज के लोग बोलेंगे कि प्रशांत किशोर गांवों-प्रखंडों में घूम रहे हैं इनकी तो कोई ताकत ही नहीं है। मुझे नीतीश कुमार लालू यादव और भाजपा के लोग धकिया नहीं सकते हैं। मैं अगर बिहार में लड़ने आया हूं तो इतनी ताकत के साथ लड़ूंगा कि इन सब नेताओं के दांत खट्टे कर दूंगा।

जो बड़े-बड़े लोगों के नाक में दम कर दे उसे प्रशांत किशोर कहते हैं 

बता दें कि, प्रशांत किशोर की पदयात्रा अभी समस्तीपुर के रोसड़ा प्रखंड है। जहां प्रशांत किशोर ने जन संवाद के दौरान आगे कहा कि, ये जितने नेता हैं ये सोच रहे हैं कि मुझे धकिया देगा। हम धकियाने वाले आदमी हैं? बड़े-बड़े लोगों के नाक में दम कर देतें हैं। हम बिहार के लड़के हैं देशभर का नेता जब चुनाव लड़ता है तो मुझसे सलाह लेता है तो ये नेता मेरा क्या करेंगे। एक बार समाज खड़ी हो गई तो जन बल के आगे कोई बल खड़ी होने वाली नहीं है। इसलिए बिहार के भविष्य के लिए सोचिए और किसी का बंधुआ मजदूर मत बनिए।

बंगाल चुनाव का दिलाया याद

आगे बंगाल चुनाव को याद दिलाते हुए कहा कि, बंगाल में आपने मेरा काम देखा होगा मैंने ही उनका नस ढीला किया था। भाजपा ने पूरी भारत की ताकत लगा दी और मैंने कहा था कि 100 पार भी नहीं होंगे। भाजपा वाले हुए 100 पार? जितना पैसा लगाना था उन्होंने लगा दिया पर कुछ नहीं हुआ। समाज में कई ऐसे लोग हैं जो लड़ने के लिए लड़ते हैं। हम उनमें से नहीं हैं अगर लड़ने आए हैं तो इस बात को मान कर चलिए कि जितने का खाका भी दिमाग में लेकर आए होंगे। सोच समझ कर आए हैं कि ये कठिन काम है इसको करने में कितनी ताकत लगानी पड़ेगी, कितना पसीना बहाना पड़ेगा, कितनी व्यवस्था बनानी पड़ेगी और कितना संसाधन लगाना पड़ेगा। सब कुछ सोच-समझ कर व्यवस्था बनाने आए हैं। 

 

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