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पटना, 18 अप्रैल, 2025 – बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में तेजी से बदलाव की बयार बह रही है, खासकर जब से जन सुराज ने 17 अप्रैल, 2025 को जारी अपनी प्रेस विज्ञप्ति में प्रशांत किशोर की बढ़ती लोकप्रियता पर जोर दिया। C-Voter सर्वे के अनुसार, प्रशांत किशोर बिहार के मुख्यमंत्री पद के लिए दूसरे सबसे पसंदीदा उम्मीदवार के रूप में उभरे हैं, जो सिर्फ आरजेडी नेता तेजस्वी यादव से पीछे हैं। इस सर्वे में नीतीश कुमार की स्वीकृति रेटिंग में गिरावट और बिहार की जनता में बदलाव की बढ़ती इच्छा को भी प्रमुख रूप से उजागर किया गया है। जन सुराज ने इसे बिहार की राजनीति में एक नये युग की शुरुआत के रूप में पेश किया है।
जन सुराज के प्रदेश महासचिव किशोर कुमार ने C-Voter सर्वे के आंकड़ों पर प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि प्रशांत किशोर की लोकप्रियता में लगातार वृद्धि हो रही है, जबकि तेजस्वी यादव की स्वीकृति रेटिंग में 5% की गिरावट आई है। किशोर ने सर्वे के तीन मुख्य बिंदुओं को साझा किया: पहला, प्रशांत किशोर की बढ़ती लोकप्रियता, दूसरा, तेजस्वी यादव की गिरती लोकप्रियता और तीसरा, बिहार की दो-तिहाई जनता द्वारा बदलाव की मांग। किशोर कुमार ने कहा, “प्रशांत किशोर की बढ़ती स्वीकार्यता ने बिहार के राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी है।” उन्होंने 20 मई, 2025 से “बिहार बदलाव यात्रा” शुरू करने का ऐलान किया है, ताकि वे राज्य की जनता से सीधे संपर्क कर सकें।
प्रेस विज्ञप्ति में जन सुराज के प्रवक्ता विवेक कुमार ने भी बिहार की राजनीति में एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि बिहार का अगला मुख्यमंत्री किसी राजनीतिक परिवार से नहीं होगा, न ही वह माफिया का बेटा होगा। “बिहार का अगला मुख्यमंत्री एक साधारण परिवार से होगा, जो बिहार के असली मुद्दों, जैसे अशिक्षा और पलायन, को समझेगा और उन्हें सुलझाने का प्रयास करेगा,” विवेक कुमार ने कहा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अन्य राजनीतिक दल जन सुराज की नकल कर रहे हैं, जो पिछले 2.5 वर्षों से इन मुद्दों पर ध्यान दे रहा है।
C-Voter सर्वे के परिणाम 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव के दृष्टिकोण को बदलने वाले हो सकते हैं। तेजस्वी यादव, जो 35.5% के समर्थन के साथ सबसे आगे हैं, उनकी लोकप्रियता फरवरी 2025 में 40.6% से घटकर अप्रैल में 35.5% तक पहुंच गई है। दूसरी ओर, नीतीश कुमार की स्वीकृति 18% से घटकर 15% हो गई है। प्रशांत किशोर की लोकप्रियता 14.9% से बढ़कर 17.2% हो गई है। यह बदलाव दर्शाता है कि जन सुराज एक नए विकल्प के रूप में उभर रहा है, जो RJD और NDA के गठबंधन के लिए चुनौती बन सकता है।
हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि लोकप्रियता को चुनावी सफलता में बदलना आसान नहीं होगा। 2024 के उपचुनाव में जन सुराज ने 10% वोट प्राप्त किए थे, लेकिन कोई सीट नहीं जीत पाया था। इसके बावजूद, प्रशांत किशोर की “बिहार बदलाव यात्रा” और जन सुराज का शिक्षा, पलायन, और अन्य सामाजिक मुद्दों पर ध्यान बिहार के राजनीतिक परिदृश्य को एक नया मोड़ दे सकता है। जन सुराज की यह पहल बिहार की वंशवादी राजनीति और जातिवाद के खिलाफ एक बगावत मानी जा रही है, जो आने वाले चुनावों में बिहार के मतदाताओं के लिए एक दिलचस्प विकल्प प्रस्तुत कर सकती है।