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Murshidabad Violence : बीते शुक्रवार, (11 अप्रैल) को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में जुम्मे की नमक के बाद मुसलमानों ने वक्फ बिल के खिलाफ प्रदर्शन किया, लेकिन सरकार का विरोध करते हुए यह प्रदर्शन हिंदुओं के खिलाफ हो गया। देखते ही देखते सैंकड़ों मुसलमानों की भीड़ सड़कों पर हिंदुओं की दुकानों को तोड़ने लगी। चुन चुन कर घरों को लूटा गया। हिंदू लिखी हुई गाड़ियों में आग लगा दी गई। अचानक सभी के हाथों में ईट- पत्थर आ गए जिससे तोड़ फोड़ मचाई गई। इस हिंसा में 3 लोगों की मौत हो गई है। हिंसा इतनी बढ़ गई कि राज्य पुलिस ने घुटने टेक दिए और हालात पर काबू पाने के लिए केंद्रीय सशस्त्र बल को उतरना पड़ा।
'बीएसएफ को जाने दो फिर बताएंगे'
आज के दिन वहां लोग खौफ में घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं। सड़को पर गाड़ियों टूटे शीशे है। दुकानों बदहाल दिख रही हैं, क्योंकि उनके अंदर का लाखों का सामान तलवार लेकर आई भीड़ ने लूट लिया। लोग घर से निकलने में डर रहे हैं, क्योंकि हिंसा वाले दिन दंगाइयों द्वारा धमकी दी गई थी कि, बीएसएफ को जाने दो फिर बताएंगे। स्थानीय लोगों ने बताया कि अब उन्हें फिर से लाखों रुपए लगाकर दुकानें बनवानी होंगी और एक डर के साथ जीना होगा। एक महिला ने रोते हुए बताया कि मुस्लिमों की भीड़ हाथों में तलवार लेकर आई थी और कहा कि, अपनी इज्जत दो तो तुम्हारे पति को जान की भीख दे देंगे।
राहत शिविरों में शरण ले रहे हिन्दू
मुर्शिदाबाद में हिंसा होने का एक बड़ा कारण वहां की जनसांख्यिकी भी है। मुर्शिदाबाद में 66 प्रतिशत मुस्लिम है। देश का बहुसंख्यक हिंदू उस इलाके में अल्पसंख्यक है। हिंसा के बाद वहां के हिंदुओं ने राज्य सरकार और प्रशासन से रक्षा की उम्मीद छोड़ दी है। राज्य की मुख्यमंत्री ने तो दंगाइयों से ही अपील की है कि वे हिंसा न करें, क्योंकि केंद्र का वक्फ कानून वो राज्य में लागू नहीं होने देंगी। लेकिन उन्होंने यह नहीं कहा कि राज्य सरकार हिंदुओं की रक्षा करेगी। इसलिए अब हिन्दू जान बचाकर दूसरे जिले मालदा में शरण ले रहे हैं। करीब 500 हिंदुओं ने मालदा में बने राहत शिविरों और सरकारी स्कूलों में शरण ली है। हालांकि अब देखना होगा कि केंद्र बलों के जान बाद हालात कब तक सामान्य होते हैं।