Share this link via
Or copy link
Murshidabad Violence: मुर्शिदाबाद जिले के धुलियान, शमशेरगंज और सुती जैसे इलाके इन दिनों युद्ध क्षेत्र जैसे दिख रहे हैं। रविवार को सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा, दुकानें बंद रहीं और घरों के दरवाज़े मजबूती से बंद। कहीं डर, कहीं आंसू, और कहीं सिर्फ़ राख बची है—वह राख जो कभी किसी का सपना हुआ करती थी।
मीडिया की टीम जब धुलियान के मंदिरपाड़ा इलाके में पहुँची, तो एक जली हुई इमारत के अंदर बम के छर्रे, राख हुआ फर्नीचर और हिंसा में भयानक कहानी सुना रहे लोग मिले। एक युवती ने कांपती आवाज़ में बताया, “हमारे घरों में आग लगा दी गई... लड़कियों के साथ बदसलूकी हुई… हमें दोषी ठहराया गया और मारपीट कर भगा दिया गया।” उसने आगे कहा कि यदि केंद्रीय बल न होते तो शायद वे ज़िंदा नहीं बचते।
नदी पार करने के बाद राहत मिलेगी...
रविवार को पुलिस और केंद्रीय बलों ने संवेदनशील इलाकों में फ्लैग मार्च किया। रास्तों से पत्थर और ईंटें हटाने की अपील करते जवान एक शांति की तलाश में थे। लेकिन इस शांति की कीमत बहुतों ने अपने घर, रिश्ते और पहचान खोकर चुकाई है।
सैकड़ों लोग, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे हैं, जान बचाकर भागीरथी नदी पार कर मालदा में शरण ले चुके हैं। देवनापुर-सोवापुर पंचायत की प्रधान सुलेखा चौधरी बताती हैं, “शुक्रवार दोपहर से नावों में आने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। शनिवार रात तक ये संख्या 500 से ज़्यादा हो चुकी थी।”
स्कूलों में मिली शरण
प्रशासन की ओर से अस्थायी राहत शिविर बनाए गए हैं, जहां इन्हें स्कूलों में शरण दी गई है। भोजन और ज़रूरी वस्तुओं की व्यवस्था भी की गई है, लेकिन जो खो गया है, वह कोई लौटा नहीं सकता। इस हिंसा ने न सिर्फ़ घर जलाए, बल्कि भरोसे को भी राख कर दिया। सवाल यह नहीं कि किसने शुरू किया, सवाल यह है कि कब रुकेगा यह सब। मुर्शिदाबाद की हवा में आज सिर्फ़ बारूद की गंध नहीं, बल्कि टूटी उम्मीदों की कसक भी है, जो हिंदुओं को सरकारों से थी।