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Mohammad Yunus: बांग्लादेश में रहना हिंदुओं के लिए मौत से भी बद्तर है? ये हम नहीं कह रहे, ऐसा वहां के हालात बता रहे हैं। पॉलिसी स्टेटमेंट में भी अंतरिम सरकार के चीफ एडवाइजर मोहम्मद यूनुस ने रोहिंग्यों को प्राथमिकता दी और हिंदुओं के लिए जो भी बातें कहीं, वो भाषण मात्र थी।
अपने पहले पॉलिसी स्टेटमेंट में मोहम्मद यूनुस ने कहा कि हमारी सरकार बांग्लादेश में शरण लिए हुए लाखों रोहिंग्या मुसलमानों की मदद करना जारी रखेगी। हमें अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की जरूरत है ताकि रोहिंग्या मुसलमानों के लिए मानवीय सहायता जारी रह सके और वे सुरक्षित अपने देश म्यांमार लौट सकें।
दरअसल, साल 2015 में म्यांमार के अंदर सांप्रदायिक हिंसा तेज हो गई थी। सांप्रदायिक हिंसा के कारण करीब लाखों रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार से भाग गए थे। जिनमें से सात लाख बांग्लादेश पहुंच गए। इनमें से ज्यादातर कॉक्स बाजार इलाके में बने शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। बांग्लादेश के साथ-साथ रोहिंग्या मुसलमान अवैध तरीके से भारत और इंडोनेशिया जैसे देशों में भी पहुंच गए हैं।
बात करें हिंदुओं की तो आप आए दिन खबरें पढ़ रहे होंगे, वीडियोज देख रहे होंगे जिसमें अल्पसंख्यक हिंदुओं के घर जलाए गए, मंदिर जलाए गए। न सिर्फ घरों को तबाह करने की कोशिश की गई बल्कि जबरन नौकरी से इस्तीफा दिलवाए जा रहे हैं। प्राथमिकता तो हिंदुओं को वैसे भी नहीं दी जा रही है लेकिन जिन पदों पर हिंदू समुदाय के लोग हैं, उन्हें इस्तीफा देने पर मजबूर किया जा रहा है। पशुपालकों के पास से उठा ले गए जानवर खासतौर पर गायें।