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दो बार के प्रधानमंत्री और दिग्गज वित्त मंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार की रात को दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। पूर्व पीएम ने 92 साल की उम्र में अपनी देह त्यागी। जहां आज वो पंच तत्व में विलीन हो जाएंगे। इस खबर से देश-दुनिया में शोक की लहर दौड़ उठी है। कारण साफ है कि मनमोहन सिंह वैसे शख्सियत थे जिन्हें पक्ष हो या विपक्ष सभी प्यार और सम्मान करते थे और करे भी क्यों ना अपनी शालीनता के लिए जाने जाने वाले मनमोहन सिंह ने अर्थसास्त्र की तीव्र बुद्धिमत्ता और तगड़ी विदेश नीति से दुनियाभर को लोह मनवाया था।
भारत के सबसे शिक्षित प्रधानमंत्री के निधन पर दुनियाभर के कई नेताओं ने उन्हें याद किया और श्रद्धांजलि दी। ये इस बात का प्रतीक है कि मनमोहन सिंह के रूप में भारत ने कितने अमुल्य सितारे को खोया है। पूर्व प्रधानमंत्री के ऐसे ही कई सारे किस्से है जिन्हें सुनकर आप गर्व करेंगे कि आप उस देश के निवासी है जिस देश में मनमोहन सिंह जैसे प्रधानमंत्री हुआ करते थे। तो आईए उनके कुछ विश्व विख्यात उपलब्धियों पर नजर डालते है।
आर्थिक सुधार लेकिन घर में ही पड़े दरार
मनमोहन सिंह ने 1991 में आर्थिक सुधारों के जरिए देश की अर्थव्यवस्था को खोलने का काम किया था, लेकिन उस समय सभी लोग इन सुधारों से खुश नहीं थे। इन बदलावों का असर सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था पर नहीं पड़ा, बल्कि मनमोहन सिंह के परिवार को भी इससे कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
मनमोहन सिंह की बेटी, दमन सिंह, ने अपनी किताब में इस बारे में विस्तार से लिखा है। वह बताती हैं कि 1991 में उनकी जिंदगी में काफी बदलाव आए थे और वह साल उनके लिए बहुत कठिन था। उस समय वह एक एनजीओ से जुड़ी हुई थीं। दमन सिंह ने बताया कि उनके पिता ने आर्थिक सुधारों की दिशा में कदम बढ़ाए थे, लेकिन इसके कारण उनके साथी और सहयोगी भड़क गए थे। कई लोग उनसे दूरी बनाने लगे थे, और कुछ तो उन्हें स्टाफ मीटिंग्स में भी शामिल नहीं होने देते थे। उनके साथ किसी भी प्रकार का संबंध रखने से लोग साफ इनकार कर देते थे।
एक समय जब संभाली थी वित्त मंत्रालय की कमान
वो समय था जब पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह 1991 में वित्त मंत्री थे। उस समय रुपये का अवमूल्यन हुआ था। डॉ. सिंह का एक विदेशी बैंक खाता था, जिसमें विदेश में काम करने से होने वाली उनकी आय जमा होती थी। रुपये के अवमूल्यन के बाद उन्होंने अपने विदेशी बैंक खाते में जमा राशि को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में जमा कर दिया था। आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री पीवी नारायण राव के निजी सचिव रामू दामोदरन ने घटना को याद करते हुए कहा, रुपये के अवमूल्यन के तुरंत बाद डॉ. सिंह प्रधानमंत्री कार्यालय गईं। वह सीधे अपनी कार में प्रधानमंत्री के कमरे में गईं। बाहरी समय में उन्होंने मुझे एक छोटा लिफाफा दिया और मुझसे इसे प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में जमा करने के लिए कहा। उस लिफाफे में बड़ी रकम का चेक था।
विकास को हरित लक्ष्यों से जोड़ना
दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी अपने दशक भर के कार्यकाल (2004-2014) के दौरान पर्यावरण संरक्षण और जलवायु कार्रवाई की वकालत की थी। उनके नेतृत्व में, देश ने जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना शुरू की, आदिवासी समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए ऐतिहासिक वन अधिकार अधिनियम (FRA) पारित किया और त्वरित कानूनी कार्रवाई के माध्यम से पर्यावरण की रक्षा के लिए राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) की स्थापना की।
'ग्लोबल वार्मिंग' से निपटने के लिए आठ सूत्री रणनीति
मनमोहन सरकार ने 2008 में 'ग्लोबल वार्मिंग' से निपटने के लिए आठ सूत्री रणनीति, जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) पेश की। NAPCC के आठ प्रमुख मिशनों में राष्ट्रीय सौर मिशन शामिल है। इसने देश को वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा नेता के रूप में उभरने के लिए आधार तैयार किया। देश को ग्रीन इंडिया मिशन दिया गया, जिसका उद्देश्य जैव विविधता में सुधार, बंजर भूमि को बहाल करना और जलवायु लचीलापन बढ़ाना है। सिंह ने जलवायु न्याय की पुरजोर वकालत की। काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस के वाशिंगटन कार्यालय में अपने भाषण में उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत अनुचित कार्बन प्रतिबंधों को स्वीकार नहीं करेगा। उनके नेतृत्व में भारत ने पर्यावरण न्याय में तेजी लाने के लिए 2010 में राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) की स्थापना की।
कार्यकाल में सेंसेक्स पांच गुना बढ़ा
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का सेंसेक्स 2004 से 2014 के बीच करीब पांच गुना बढ़ा था। उस समय सेंसेक्स 4,961 से बढ़कर 24,693 पर पहुंच गया था। उनके 10 साल के कार्यकाल में सेंसेक्स 8 गुना बढ़त के साथ बंद हुआ था।
2009 में सबसे ज्यादा रिटर्न
डॉ. सिंह के नेतृत्व में सेंसेक्स ने 2009 में सबसे ज्यादा 81 फीसदी रिटर्न दिया था। उसके बाद 2006 और 2007 में 47-47 फीसदी का मुनाफा दिया था। 2004, 2005, 2010, 2012 और 2013 में सेंसेक्स ने 33 फीसदी, 42 फीसदी, 17 फीसदी, 26 फीसदी और 9 फीसदी का मुनाफा दिया था। हालांकि वैश्विक मंदी के कारण 2008 में सेंसेक्स ने भारी नुकसान दिया। इसके बाद 2011 में भी इसने निवेशकों को 27 प्रतिशत का भारी नुकसान दिया।