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Janmashtami: वृंदावन और मथुरा में भगवान श्री कृष्णा के जन्मोत्सव को धूमधाम से मनाया जाता है मानों की स्वर्ग जमीन पर उतर आया हो। ऐसे में जल्द ही यह पर्व फिर से धूम मचाने के लिए आ रहा है। ऐसे में यह जानना दिलचस्प होगा कि वृंदावन के प्रसिध्द बांके बिहारी मंदिर में इस बार जन्माष्टमी की धूम में क्या कुछ देखने को मिलेगा। जन्माष्टमी के मौके पर मथुरा-वृंदावन के अलावा पूरे देश के हर एक कोने में भक्तों का ताता लगता है। देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी जन्माष्टमी के उत्सव को धूमधाम से मनाया जाता है और इस बार मथुरा-वृंदावन में दो दिन तक इस उत्सव को मनाया जाएगा। जिसकी तिथि आज की खबर के माध्यम से हम आपको बताएंगे।
हर साल भद्रापद महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है और इस साल 26 अगस्त 2024 यानी कि सोमवार के दिन जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। ऐसे में भगवान श्री कृष्ण के जन्म उत्सव को दो दिन तक मनाए जाने की बताया जा रही है मथुरा में भगवान श्री कृष्ण के जन्म भूमि पर 26 अगस्त सोमवार को जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाएगा। वहीं उनके लीला स्थल यानी कि वृंदावन में 27 अगस्त को मंगलवार के दिन जन्माष्टमी के पर्व को मनाया जाएगा।
धर्म शास्त्र के अनुसार बताया तो भगवान श्री कृष्ण का यह 5251वां जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। जिस वजह से ये और भी खास बन जाता है। भगवान श्री कृष्ण के जन्म स्थल मथुरा में 26 अगस्त को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। यहां पर मध्य रात्रि को श्री कृष्ण का जन्म हुआ था तो मंदिरों में इसी दौरान पूजा अर्चना और सभी तरह के तैयारी की जाएगी।
वही बता दे कि विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव 27 अगस्त को मनाए जाने वाला है और इस दौरान बांके बिहारी मंदिर में एक भव्य आरती भी होगी। इस दिन सुबह से रात तक बांके बिहारी में भक्तों का ताता लगा रहता है। साथ ही शाम में एक खास आरती भी होती है। जो रात के दौरान भगवान के अभिषेक से खत्म होती है। इसके बाद प्रभु बांके बिहारी की मंगल आरती को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। जो साल में सिर्फ एक बार ही होती है।
जन्माष्टमी के उत्सव की खास झलक के बारे में बात करें तो सुबह श्रृंगार आरती की जाएगी। जिस दौरान जन्मोत्सव के दिन 2:00 बजे बांके बिहारी को पीतांबरी पोशाक धारण कराई जाएगी। उनका मनमोहक श्रृंगार देखने के लिए भक्तों की भीड़ वहां जमी रहेगी और खास तौर पर जन्माष्टमी के विशेष भोग को भी चढ़ाया जाएगा। जिसमें चिरौंजी व मेवा युक्त पंजीरी का भोग लगाया जाता है।