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रक्षा शिखर सम्मेलन 2024 में बोलते हुए एस सोमनाथ ने माइक्रोग्रैविटी अनुसंधान में भारत के निवेश की स्थिति पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत के लिए माइक्रोग्रैविटी अनुसंधान पर निवेश और काम करने की संभावना है। हम कई हितधारकों के साथ बातचीत कर रहे हैं जो इस क्षेत्र में काम करना चाहते हैं, जिनमें वैक्सीन शोधकर्ता और चिकित्सा उपकरण निर्माता शामिल हैं।
अंतरिक्ष समझौते ज्ञापन पर हस्ताक्षर का जिक्र
सोमनाथ ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी विभाग और अंतरिक्ष विभाग ने एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं जो अंतरिक्ष में जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान में मदद करेगा और इसे गगनयान मानव अंतरिक्ष मिशन से जोड़ा जा सकता है। इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि मानव शरीर माइक्रोग्रैविटी में कैसे प्रतिक्रिया करता है, खासकर शरीर के तरल पदार्थों के मामले में।
अब भारत में कलपुर्जे की आपूर्ति
इसरो प्रमुख ने कहा कि जब इसरो ने रॉकेट और सैटेलाइट बनाना शुरू किया, तो उसने विभिन्न स्रोतों से कलपुर्जे खरीदकर भारत में ही उन्हें असेंबल करना शुरू कर दिया। अब समय के साथ इसरो ने उद्योग के साथ मिलकर इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स, मिश्र धातु, सामग्री, कनेक्टर, रसायन और चिपकने वाले पदार्थ जैसे कई कलपुर्जों का स्थानीय स्तर पर निर्माण करना शुरू कर दिया है।
उन्होंने कहा कि अब करीब 90 फीसदी कलपुर्जे देश में ही बनते हैं। सोमनाथ ने कहा कि इस तरह की प्रक्रिया स्वास्थ्य सेवा और अस्पताल के उपकरणों के क्षेत्र में भी लागू की जा सकती है। उन्होंने सुझाव दिया कि कंपनियां मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) के साथ साझेदारी कर सकती हैं और भारत में इन उपकरणों का उत्पादन कर सकती हैं। इससे देश में नवाचार बढ़ेगा और लागत कम होगी।