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Israel–Iran Conflict: इस्राइल और ईरान के बीच जारी तनाव अब सीधे युद्ध में बदल चुका है। इस संघर्ष को शुरू हुए आज सात दिन हो चुके हैं, लेकिन लड़ाई रुकने के बजाय और तेज होती जा रही है। दोनों देशों ने लगातार एक-दूसरे पर हमले किए हैं। गुरुवार सुबह इस्राइल ने ईरान के अरक (Arak) शहर में स्थित एक परमाणु ठिकाने को निशाना बनाने का दावा किया। यह ठिकाना ईरान के परमाणु कार्यक्रम का अहम हिस्सा माना जाता है। इस्राइल का कहना है कि यह हमला उनकी सुरक्षा के लिए जरूरी था।
क्या है मनोवैज्ञानिक युद्ध?
इस्राइल और ईरान अब केवल हथियारों से नहीं, बल्कि सूचनाओं के जरिए भी एक-दूसरे को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। इसे 'मनोवैज्ञानिक युद्ध' कहा जाता है। इसमें दुश्मन देश की जनता के मन में अपनी ही सरकार के खिलाफ गुस्सा भरने की कोशिश की जाती है। टीवी, सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के जरिए ऐसे संदेश फैलाए जाते हैं जो समाज में अस्थिरता ला सकें। इस जंग में कौन जीतेगा, यह कहना अभी मुश्किल है। लेकिन इतना तय है कि यह लड़ाई अब केवल सीमाओं पर नहीं, बल्कि लोगों के मन और सोच पर भी लड़ी जा रही है।
ईरान का जवाब – इस्राइल के शहरों पर हमला
दूसरी तरफ, ईरान ने इस्राइल के प्रमुख शहरों पर सीधा हमला किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान के मिसाइल हमलों में इस्राइल की राजधानी तेल अवीव समेत कई शहर प्रभावित हुए। खास बात यह है कि तेल अवीव स्थित स्टॉक एक्सचेंज की इमारत को गंभीर नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा दक्षिणी शहर बीरशेबा (Beersheba) में एक अस्पताल के तबाह होने की खबरें भी सामने आई हैं।
न युद्धविराम की कोशिश, न शांति की कोई बात
इस पूरे मामले में अब तक किसी भी पक्ष की ओर से संघर्ष रोकने की कोई गंभीर पहल नहीं हुई है। उल्टा, हालात और बिगड़ते जा रहे हैं। अब जंग केवल हथियारों की नहीं रही, बल्कि इसका एक और चेहरा सामने आया है – मनोवैज्ञानिक युद्ध।
ईरान में सूचनाओं की जंग लड़ रहा है इस्राइल
अब इस जंग का एक नया पहलू सामने आया है। ईरान के टीवी चैनलों पर बुधवार को एक अजीब घटना हुई। अचानक कई चैनलों के प्रसारण में गड़बड़ी आई और टीवी पर कुछ ऐसे वीडियो चलने लगे जो लोगों को सरकार के खिलाफ भड़काते नजर आए।
रिपोर्ट्स के अनुसार, इन वीडियो में 2022 में ईरान में हुए महिला आंदोलनों के दृश्य दिखाए गए। ये वही आंदोलन थे जो महसा अमीनी की मौत के बाद शुरू हुए थे। महसा अमीनी को ईरान की 'नैतिकता पुलिस' ने सिर्फ इसलिए हिरासत में लिया था क्योंकि उसने हिजाब ठीक से नहीं पहना था। हिरासत में हुई हिंसा के बाद महसा की मौत हो गई थी, जिसके बाद पूरे देश में भारी विरोध प्रदर्शन हुए थे।
अब उन पुराने विरोधों के वीडियो को फिर से दिखाकर लोगों को एक बार फिर सरकार के खिलाफ उकसाने की कोशिश की गई है। माना जा रहा है कि इस साइबर हमले के पीछे इस्राइल की किसी खुफिया एजेंसी का हाथ हो सकता है।