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भारत और जापान के बीच सामरिक व्यापार और प्रौद्योगिकी सहित आर्थिक सुरक्षा पर वार्ता का पहला दौर बुधवार को टोक्यो में हुआ। इस दौरान दोनों देशों ने आर्थिक हितों की रक्षा करने और लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए निकट सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। विदेश मंत्रालय ने बताया कि दोनों पक्ष फोकस क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाकर "ठोस परिणाम" लाने पर सहमत हुए।
बता दें कि भारत-जापान 2+2 मंत्रिस्तरीय बैठक में 20 अगस्त को रणनीतिक व्यापार और प्रौद्योगिकी पर वार्ता की घोषणा की गई थी। टोक्यो में हुई बैठक ने आर्थिक सुरक्षा नीतियों पर विचारों का आदान-प्रदान करने व औद्योगिक और तकनीकी लचीलापन बढ़ाने के साथ-साथ प्रमुख प्रौद्योगिकियों में सहयोग को बढ़ावा देने का अवसर दिया।
इन मुद्दों पर हुई वार्ता
वार्ता के दौरान, आर्थिक सुरक्षा, आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन, और उभरती प्रौद्योगिकियों में सहयोग पर विस्तार से बात की गई। विदेश सचिव ने जापान के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की, जिनमें जापान के अर्थव्यवस्था, व्यापार और उद्योग मंत्रालय के उप-मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सचिवालय के उप महासचिव, और मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल परियोजना के लिए सहयोग की समीक्षा करने के लिए जापान के भूमि, अवसंरचना, परिवहन और पर्यटन मंत्रालय के उप-मंत्री भी शामिल थे।
विक्रम मिस्री ने जापानी अधिकारी से की मुलाकात
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने अपनी "पहली आधिकारिक यात्रा" पर बुधवार को जापान यात्रा की और जापानी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की। जिसके बारे में विदेश मंत्रालय ने बताया कि उनकी यात्रा ने भारत और जापान के बीच "मजबूत और स्थायी मित्रता को और मजबूत किया", जो साझा मूल्यों, आपसी सम्मान, आपसी विश्वास और क्षेत्रीय स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता पर आधारित है।