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IAF: फ्रांस में आज यानी 14 जुलाई को होने वाली बैस्टिल डे परेड में भारतीय वायुसेना का नेतृत्व स्क्वाड्रन लीडर सिंधु रेड्डी करने वाली है। जिसके बारे में बतातें हुए सिंधु रेड्डी ने कहा कि, आप जो चाहते हैं, आप सिर्फ वही करें। आप किसी को मौका न दें कि वह आपको कुछ गलत बताए। बैस्टिल डे परेड में भारतीय थलसेना, नौसेना और वायुसेना की मार्चिंग टुकड़ियां शामिल होंगी। बता दें कि, आज होने वाले इस कार्यक्रम में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि के तौर पर होगें। तो वहीं इस बार वायुसेना के मार्चिंग दल में 68 जवान शामिल होंगे।
यह गर्व का क्षण- रेड्डी
बता दें कि, आज होने वाले बैस्टिल डे परेड का नेतृत्व करने वाली स्क्वाड्रन लीडर रेड्डी ने बताया कि, मेरे लिए यह गर्व का क्षण है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं विदेशी जमीन पर वायुसेना का प्रतिनिधित्व करुंगी। इसका श्रेय मैं देश को भी देती हूं। मैं वायुसेना की आभारी हूं कि उन्होंने मुझे देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया। फ्रांसीसियों की प्रतिक्रिया से मैं काफी उत्साहित हूं। मेरा कहना है कि दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है। दृढ़ संकल्प के कारण आज इस मुकाम पर पहुंची हूं। आप जीवन के हर मोड़ पर सिर्फ वही करें, जो आप चाहते हैं। किसी को भी अन्यथा बोलने की इजाजत न दें। जीवन आपका है, जो आप चाहते हैं, आप सिर्फ उसे ही चुनें। इसके बाद जब सिंधु रेड्डी से पूछा गया कि आप वायुसेना में क्यों आईं तो उन्होंने बताया कि उड़ान के प्रति जुनून है, इसलिए इसे चुना। बचपन में पहली बार बेंगलुरू में एक एयर शो में विमानों को उड़ते देखा था। उस दिन मैंने मां से कहा था कि मैं एक दिन वहां जरूर पहुंचुंगी। वहीं आपको बता दें कि, इससे पहले सिंधु रेड्डी गणतंत्र दिवस परेड में भी वायुसेना का नेतृत्व कर चुकी हैं।
ये भी जानिए
बता दें कि, आज यानी 14 जुलाई को होने वाले फ्रांसीसी नेशनल डे पर होने वाली परेड में इस साल भारतीय सेना के जवान भी शामिल हो रहे है। जिससे फ्रांसीसी सेना गौरवान्वित महसूस कर रही है। वहीं आपको ये भी बता दें कि, यह परेड दुनिया के सबसे खूबसूरत रास्तों में शुमार एवेन्यू शॉन्ज (चैंप्स) एलिसीज पर होगी। वहीं परेड की अगुवाई कर रही पंजाब रेजिमेंट के सैनिक राजपूताना राइफल्स के बैंड की धुन पर परेड करेंगे। इस दौरान बैंड के सैनिक पाइप और ड्रम के जरिये सारे जहां से अच्छा... की धुन बजाएंगे। भारतीय सेना की पंजाब रेजिमेंट के सैनिक दोनों विश्व युद्ध में यूरोप के विभिन्न हिस्सों में लड़ चुके हैं।