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बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और (RJD) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की कानूनी मुश्किले एक बार फिर बढ़ गई हैं। राष्ट्रपति द्रौपति मुर्मू ने लैंड फॉर जॉब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। यह मामला जमीन के बदले रेलवे में नौकरी घोटाे की जांच कर रही ईडी ने पिछले साल अगस्त में लालू यादव, उनके बेटे और राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और परिवार के अन्य सदस्यों पर आरोप लगा था। खबरों के अनुसार राष्ट्रपति द्रौपति मुर्मू ने सीआरपीसी की धारा 197(1) भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहद मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है।
क्या है लैंड फॉर जॉब घोटाला?
लैंड फॉर जॉब घोटाला लालू यादव के रेल मंत्री रहते हुए कथित तौर पर नियमों की अनदेखी कर नौकरियां देने और इसके बदले जमीन हासिल करने से जुड़ा है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) इस मामले की जांच कर रहे हैं। CBI ने इस घोटाले के सभी पहलुओं की जांच की, और ED मनी लॉन्ड्रिंग के पहलू पर ध्यान दे रहा है। ED ने पहले लालू परिवार से जुड़ी 6 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की थी।
राष्ट्रपति की मंजूरी और कोर्ट की कार्रवाई
राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद से मनी लॉन्ड्रिंग का केस और मजबूत हो गया है। इससे पहले सितंबर 2024 में गृह मंत्रालय ने CBI को लालू के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने इस मामले में लालू, उनके बेटे तेजस्वी यादव, पत्नी राबड़ी देवी और बेटी मीसा भारती को समन जारी किया था, जिसमें उन्हें 7 अक्टूबर 2024 को पेश होने को कहा गया था। कोर्ट ने हाल ही में लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को भी पहली बार समन जारी किया है।
RJD का पक्ष और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
RJD ने इस कार्रवाई को राजनीतिक साजिश करार दिया है। पार्टी नेता आलोक मेहता ने कहा, "यह केंद्र सरकार की ओर से लालू यादव की आवाज को दबाने की कोशिश है।" वहीं, लालू के बेटे और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा, "हम डरने वाले नहीं हैं, कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।" दूसरी ओर, विपक्षी दल इस मंजूरी को भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई बता रहे हैं।
आगे क्या?
लालू यादव पहले ही चारा घोटाले में सजा काट चुके हैं और अब इस नए मामले ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जानकारों का कहना है कि यह केस बिहार की सियासत पर भी असर डाल सकता है, खासकर 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले। लालू परिवार अब कानूनी रणनीति तैयार कर रहा है, लेकिन ED और CBI की सख्ती से उनकी राह आसान नहीं दिख रही।