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Champai Soren: झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर झारखंड की राजनीति गर्म है। झारखंड के पू्र्व मुख्यमंत्री और JJP के पूर्व नेता चंपई सोरेन ने आज बीजेपी में शामिल हुए, जिसके कारण एक खेमें तो खुशियों की लहर हौ तो दूसरे खेमे की नींद उड़ गई है।
चंपई सोरेन ने 18 अगस्त को सोशल मीडिया पर अपनी निराशा व्यक्त की। जहां उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर पोस्ट किया था इतने अपमान एवं तिरस्कार के बाद मैं वैकल्पिक राह तलाशने के लिए मजबूर हो गया। क्या लोकतंत्र में इससे अधिक अपमानजनक कुछ हो सकता है कि एक मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों को कोई अन्य व्यक्ति रद्द करवा दे? बैठक (तीन जुलाई को विधायक दल की बैठक) के दौरान, मुझे इस्तीफा देने के लिए कहा गया।
इसके साथ ही चंपई सोरेन ने कहा कि मैं हैरान रह गया। चूंकि मुझे सत्ता की कोई इच्छा नहीं थी, इसलिए मैंने तुरंत इस्तीफा दे दिया। हालांकि, मेरे स्वाभिमान को बहुत ठेस पहुंची।" चंपई ने साथ ही अपने पोस्ट में यह उल्लेख भी किया गया कि वह अपने आंसुओं को मुश्किल से रोक पा रहे हैं। लेकिन उन्हें (मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का नाम लिये बिना उनकी ओर इशारा करते हुए) सिर्फ कुर्सी से मतलब था। मुझे ऐसा लगा, मानो उस पार्टी में मेरा कोई वजूद ही नहीं है, कोई अस्तित्व ही नहीं है, जिसके लिए हमने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।
चंपई सोरेन के भाजपा में मिलने के साथ ही पार्टी और भी ज्यादा मजबूत हो गई है। चंपई सोरेन के जरिए बीजेपी को आदिवासी समूह का वोट बैंक और उनका भावनात्मक जुड़ाव भी मिलेगा। 'कोल्हान टाइगर' के नाम से मशहूर चंपई सोरेन का झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के एक प्रमुख नेता से लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल होने तक का सफ़र कई उतार-चढ़ावों से भरा रहा है।
कभी JMM प्रमुख शिबू सोरेन के करीबी सहयोगी रहे चंपई सोरेन को अब झारखंड के आदिवासी इलाके में पैर जमाने के भाजपा के प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, जहाँ कुल मतदाताओं में से लगभग 26 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के हैं।