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Gyanvapi Update: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी का मामला दिन प्रतिदिन और गर्माता हुआ नजर आ रहा है। जहां कुछ दिन पहले 30 सदस्यों के समुह को जांच के लिए भेजा गया था। जिसके बाद मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध करते हुए जांच की टीम को वापस करने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी। जहां अब इलाहाबाद कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को एक बड़ा झटका देते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के जांच पर रोक लगाने से मना कर दिया है। जिसपर इलाहाबाद कोर्ट ने कहा कि, इस सर्वे से किसी को नुकसान नहीं होगा। साथ ही कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने की अनुमति दे दी है। बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। जिसके बाद हिंदू पक्ष में काफी खुशी का माहौल बन गया है। हिंदू पक्ष का कहना है कि, इस एएसआई के सर्वे से ही 350 पुरानी ज्ञानवापी मस्जिद का इतिहास सामने आएगा।
जानकारी के लिए बता दें कि, ज्ञानवापी का मामला उस वक्त कोर्ट में आया था जब कानून का हवाला देकर मस्जिद कमेटी ने याचिका को हाईकोर्ट में चुनौती दी। 1993 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्टे लगाकर यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया था। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि किसी भी मामले में स्टे ऑर्डर की वैधता केवल छह महीने के लिए ही होगी। उसके बाद ऑर्डर प्रभावी नहीं रहेगा। जिसके बाद 2019 में वाराणसी कोर्ट में फिर से इस मामले में सुनवाई शुरू हुई। 2021 में वाराणसी की सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट से ज्ञानवापी मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण की मंजूरी दे दी। आदेश में एक कमीशन नियुक्त किया गया और इस कमीशन को 6 और 7 मई को दोनों पक्षों की मौजूदगी में श्रृंगार गौरी की वीडियोग्राफी के आदेश दिए गए। 10 मई तक अदालत ने इसे लेकर पूरी जानकारी मांगी थी।
मिली जानकारी के अनुसार छह मई को पहले दिन का ही सर्वे हो पाया था, लेकिन सात मई को मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध करना भी शुरू कर दिया। जिसके बाद मामला कोर्ट पहुंचा और 12 मई को मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई हुई। जहां सुप्रीम कोर्ट ने कमिश्नर को बदलने की मांग खारिज कर दी और 17 मई तक सर्वे का काम पूरा करवाकर रिपोर्ट पेश करने का आदेश देते हुए कोर्ट ने कहा कि जहां, ताले लगे हैं, वहां ताला तुड़वा दीजिए। अगर कोई बाधा उत्पन्न करने की कोशिश करता है तो उसपर कानूनी कार्रवाई करिए, लेकिन सर्वे का काम हर हालत में पूरा होना चाहिए। 14 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका पर तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया। याचिका में ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे पर रोक लगाने की मांग की गई थी। शीर्ष अदालत ने यथास्थिति बनाए रखने से इनकार करते हुए कहा था कि हम बिना कागजात देखे आदेश जारी नहीं कर सकते हैं। अब मामले में 17 मई को सुनवाई होगी। 14 मई से ही ज्ञानवापी के सर्वे का काम दोबारा शुरू हुआ। सभी बंद कमरों से लेकर कुएं तक की जांच हुई। इस पूरे प्रक्रिया की वीडियो और फोटोग्राफी भी हुई।
इधर 16 मई को सर्वे का काम पूरा हो गया। जिसके बाद हिंदू पक्ष ने दावा किया कि, कुएं से बाबा मिल गए हैं इसके अलावा हिंदू स्थल होने के कई साक्ष्य मिले। दूसरी तरफमुस्लिम पक्ष ने इसपर कहा कि, सर्वे के दौरान कुछ नहीं मिला। हिंदू पक्ष ने इसके वैज्ञानिक सर्वे की मांग की। मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध किया। 21 जुलाई 2023 को जिला अदालत ने हिंदू पक्ष की मांग को मंजूरी देते हुए ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वे का आदेश दे दिया। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां कोर्ट ने हाईकोर्ट जाने के लिए कहा। इस मामले में 3 अगस्त 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने की अनुमति दे दी।
जानकारी के लिए बता दें कि, काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी केस में 1991 में वाराणसी कोर्ट में पहला मुकदमा दाखिल हुआ था। याचिका में ज्ञानवापी परिसर में पूजा की अनुमति मांगी गई। प्राचीन मूर्ति स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर की ओर से सोमनाथ व्यास, रामरंग शर्मा और हरिहर पांडेय बतौर वादी इसमें शामिल हैं। मुकदमा दाखिल होने के कुछ महीने बाद सितंबर 1991 में केंद्र सरकार ने पूजा स्थल कानून बना दिया। ये कानून कहता है कि 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता। अगर कोई ऐसा करने की कोशिश करता है तो उसे एक से तीन साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है।