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G20 Summit: भारत में हुए जी20 सम्मेलन की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। जिसको लेकर कई सारी बातें भी सामने आ रही है इसी बीच जी-20 शिखर सम्मेलन में हुए नेताओं की बैठक में भारत ने वैश्विक बाजार में गरीब व विकासशील देशों के आर्थिक विकास के लिए ही सभी देशों को राजी नहीं किया, बल्कि छोटे उद्यमियों के विकास का भी पूरा ख्याल रखा है। बता दें कि, जी20 शिखर सम्मेलन में हुई रजामंदी के अनुसार, अब सभी देशों के एमएसएमई आसानी से वैश्विक कारोबार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकेंगे और इस काम के लिए उन्हें पर्याप्त सूचना मुहैया कराई जाएंगी। इस काम के लिए वैश्विक व्यापार एजेंसी की माध्यम से डाटा एक्सचेंज का गठन किया जाएगा। इसके साथ हीं सभी देशों के एमएसएमई इस एक्सचेंज के माध्यम से अपने सामान की बिक्री की संभावना व बाजार तलाश सकेंगे।
मिली जानकारी के अनुसार बता दें कि, भारत के जीडीपी में भी एमएसएमई की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत के आसपास है। इसके साथ हीं रविवार को जी20 शिखर सम्मेलन में ग्लोबल वैल्यू चेन की मैपिंग को लेकर एक जेनेरिक फ्रेमवर्क बनाने पर सहमति भी बन गई है। इसके तहत वैल्यू चेन या वस्तुओं की सप्लाई के लिए चुनिंदा देश पर निर्भर नहीं रहकर उसके विकल्प को तलाशना है। बता दें कि, जेनेरिक फ्रेमवर्क के तहत यह पता लगाया जाएगा कि कौन-कौन सी वस्तुएं किन-किन देशों में आसानी से उपलब्ध है ताकि किसी एक देश पर सप्लाई की निर्भरता नहीं रहे।
जानकारी के लिए बता दें कि, बीते दिनों कोरोना महामारी के चलते पूरी दुनिया तबाह हुई जिसके सप्लाई चेन के विकल्प की जबरदस्त जरूरत महसूस की गई। इस बात को लेकर भी सहमति बनी है कि, अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अति कम विकसित देश (LDC) की भागीदारी को कैसे बढ़ाया जाए और उन देशों को भी वैश्विक सप्लाई चेन का हिस्सा बनाया जाए। इसके साथ हीं वैश्विक व्यापार से जुड़े दस्तावेज पूरी तरह से डिजिटल होंगे। अभी दो देशों के बीच व्यापार की प्रक्रिया पूरी करने में काफी दस्तावेज का इस्तेमाल होता है। प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटल कर देने पर लागत में कमी आएगी। हालांकि डिजिटल दस्तावेज की सुरक्षा की भी गारंटी होगी।