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मिजोरम से राज्यसभा सांसद के वनलालवेना ने मणिपुर में दिन-प्रतिदिन बढ़ते संघर्ष को लेकर अपना बयान जारी किया है। जिसमें उन्होंने शुक्रवार को मणिपुर में जातीय संघर्ष को समाप्त करने के लिए मैतेई और कुकी-जोस समुदायों के लिए अलग-अलग प्रशासनिक इकाइयों के गठन की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने इस भयानक संकट को रोकने के लिए पहला और जरूरी कदम बताते हुए राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है।
राष्ट्रपति शासन लगाने की अपील
भाजपा की सहयोगी मिजोरम नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के नेता वनलालवेना ने हिंसा को रोकने के लिए पहला और सबसे जरूरी कदम बताते हुए राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शासन लगाना बहुत जरूरी है। इस दौरान केंद्र को स्थिति का गहराई से अध्ययन करना चाहिए और मैतेई और आदिवासी समुदायों द्वारा कब्जा की गई जमीन का सीमांकन करना चाहिए। आपको बता दें कि मणिपुर में मई 2023 से शुरू हुई जातीय हिंसा में अब तक 250 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।
अलग-अलग प्रशास का गठन
राज्यसभा सांसद वनलालवेना ने हिंसा रोकने के एक और कदम के रूप में दोनों समुदायों के लिए अलग प्रशासनिक इकाइयों के गठन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दोनों समुदायों को अलग-अलग प्रशासनिक इकाइयों के तहत चलाया जाना चाहिए, क्योंकि उनकी भूमि और जीवनशैली में बहुत अंतर है। उन्होंने कहा कि पहाड़ी जनजातियां अब घाटी में नहीं जा सकती हैं और मैतेई लोग पहाड़ी इलाकों में नहीं जाना चाहते हैं। दोनों समुदायों के बीच नई प्रशासनिक इकाइयों का गठन किया जाना चाहिए ताकि एक स्थायी समाधान संभव हो सके और संघर्ष समाप्त हो सके।
राज्य सरकार के नियत्रंण से बाहर
मिजोरम नेशनल फ्रंट के नेता ने मणिपुर सरकार पर पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मणिपुर में जातीय हिंसा अब राज्य सरकार और पुलिस के नियंत्रण से बाहर है। उनका मानना है कि राष्ट्रपति शासन से ही स्थिति में सुधार होगा, लेकिन इसके साथ ही दोनों समुदायों के लिए अलग प्रशासन जरूरी है।