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Chamoli Glacier Burst: गोपाल जोशी ने शुक्रवार की सुबह कंटेनर का दरवाजा खोला, तो उन्हें उम्मीद थी कि रोज़ की तरह ठंडी हवाओं का सामना करेंगे। लेकिन उस दिन उनकी किस्मत में कुछ और ही लिखा था। एक बर्फीला सैलाब उनकी ओर बढ़ रहा था।
अस्पताल के बिस्तर से कांपती आवाज़ में जोशी ने कहा "हमने ऊपर देखा तो हिमस्खलन हमारी तरफ आ रहा था। मैं चिल्लाया, ‘भागो!’ लेकिन बर्फ पहले ही हमारे पैरों को जकड़ चुकी थी।" वे उन 50 मजदूरों में से एक हैं, जो इस खौफनाक आपदा से बच निकले। लेकिन चार साथियों की मौत ने उनके दिल पर ऐसा जख्म छोड़ा, जो शायद कभी नहीं भरेगा।
लोडर मशीन के पीछे छिपकर बचाई जान
हिमाचल के विपिन कुमार की पीठ में गहरी चोट है। उनकी सांसें अब भी तेज़ चलती हैं जब वो बताते हैं, "हम करीब 15 मिनट तक बर्फ में दबे रहे। लगा कि अब जिंदगी खत्म... लेकिन किस्मत से बच गए।"
मथुरा के तीन मजदूरों की आवाज़ अभी भी कांप रही थी, "हम भागना चाहते थे, लेकिन घुटनों तक जमी बर्फ ने हमें रोक दिया। हर तरफ बस सफेदी थी।"
मनोज भंडारी ने बताया, "बर्फ का पहाड़ तेजी से नीचे आ रहा था। मैंने चिल्लाकर सभी को चेताया और खुद को बचाने के लिए लोडर मशीन के पीछे छिप गया।"
'ये हमारा दूसरा जन्म है'
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के जवानों ने करीब दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद मजदूरों को बाहर निकाला। 19 मजदूरों को सेना के अस्पताल में भर्ती कराया गया, जबकि दो की हालत इतनी गंभीर थी कि उन्हें एम्स, ऋषिकेश भेजना पड़ा।
घटना के बाद मजदूरों की हालत देख अस्पताल के डॉक्टर भी सहम गए। डॉक्टर ने बताया" इनकी आँखों में जो डर है, वो शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।"जोशी ने सिर झुका लिया, "हम बच गए, पर चार साथी हमेशा के लिए चले गए... ये सच में हमारा दूसरा जन्म है।"