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उत्तर प्रदेश

News by Neha   16 Nov, 2024 21:41 PM

Jhansi Fire Tragedy: शुक्रवार रात को झांसी के मेडिकल कॉलेज के शिशु वार्ड में आग लग गई, जिसमें 10 बच्चों की मौत हो गई। ये बच्चें कुछ ही दिन पहले दुनिया में आए थे। इनमें से कुछ ऐसे भी थे जिनके परिवार को इनके घर आने का इंतजार था कि कब वे इन्हें गोद में खिलाएंगे। लेकिन उससे पहले ही ये नन्ही जान इस भयानक अग्निकांड की भेंट चढ़ गए। आग लगना एक हादसा था, लेकिन समय रहते आग पर काबू न कर पाना निश्चित ही लापरवाही थी, और इसी लापरवाही की वजह से 10 मासूम बच्चों की जान चली गई।

इसके साथ ही इस हादसे में कई बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। बताया जा रहा है कि यहां पर 55 से ज्यादा बच्चे भर्ती थे। बाहरी वार्ड के सभी बच्चों को बचा लिया गया लेकिन भीतरी वार्ड में 10 बच्चों की मौत हो गई है।

माचिस जलाते ही लग गई आग

पहले कहा जा रहा था कि शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लगी है लेकिन अब एक अलग खबर सामने आ रही है। झांसी अग्निकांड के एक प्रत्यक्षदर्शी का कहना है कि एक नर्स ने ऑक्सीजन सिलेंडर का पाइप जोड़ने के लिए माचिस जलाई और जैसे ही माचिस जली, पूरे वार्ड में आग लग गई। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक सचिन माहोर ने बताया, “एनआईसीयू वार्ड में 54 बच्चे भर्ती थे। अचानक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के अंदर आग लगी,आग बुझाने की कोशिश की गई लेकिन कमरे में ज्यादा ऑक्सीजन होने की वजह से ये और तेजी से भड़क गई। कई बच्चों को तो बचा लिया गया लेकिन 10 बच्चों की मौत हो गई। 

समय पर आग पर काबू क्यों नही पाया गया

एनआईसीयू सर्वोच्च प्राथमिकता वाला वार्ड है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वहां आग बुझाने के लिए पर्याप्त साधन क्यों नहीं थे। आपको बता दें मिट्टी की ढेर की वजह से अग्निशमन की गाड़ियां समय से नहीं पहुंच पाई। हैरानी की बात यह रही कि आग लगने के बाद न तो फायर अलार्म बजा और न ही वार्ड में रखे सिलेंडर किसी काम के आए। सिलेंडर पर भरने की तारीख 2019 और एक्सपायरी डेट 2020 दर्ज है। यानी अग्निशमन यंत्र सालों पहले एक्सपायर हो चुका था और उसे खाली दिखाने के लिए ये सिलेंडर यहां रखे हुए थे। 

अस्पताल प्रशासन की लापरवाही की वजह से कई परिवारों के घर का दीया बुझ गया। चीखते बिलखते मां - बाप अपने बच्चों के कातिल को ढूंढ रहे हैं। आशा है जांच के बाद उनके आंसू थमेंगे। 

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