Share this link via
Or copy link
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार में इस साल के अंत तक विधानसभा के चुनाव होने है। इसको लेकर राजनीतिक पार्टियों ने अपनी-अपनी तैयारी तेज कर दी है। इसी बीच जन सुराज के संस्थापक और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बिहार की मतदाता सूची को लेकर चुनाव आयोग की हालिया घोषणा पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि जब से महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव हुए हैं, तब से मतदाता सूची की प्रक्रिया को लेकर कई तरह के संदेह सामने आए हैं। ऐसे में चुनाव आयोग की ज़िम्मेदारी है कि वह जनता और सभी राजनीतिक दलों को भरोसे में लेकर ही कोई भी बदलाव करे।
चुनाव आयोग से पीके का सवाल
प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग मतदाता सूची में संशोधन करने जा रहा है, तो पहले यह बताना चाहिए कि यह प्रक्रिया कैसे होगी, इसके नियम क्या हैं और किन आधारों पर किसी का नाम जोड़ा या हटाया जाएगा। उन्होंने कहा कि देशभर में इस बात को लेकर डर और संदेह का माहौल है कि कहीं सरकार के दबाव में आकर चुनाव आयोग ऐसे नाम न हटा दे जो किसी खास राजनीतिक पार्टी को वोट नहीं देते।
सूची जांच प्रक्रिया निष्पक्ष कराने की मांग
किशोर ने आगे कहा कि चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष हो, ताकि किसी भी नागरिक को यह न लगे कि उनका मतदाता सूची से नाम जानबूझकर हटाया गया है। उन्होंने कहा कि जब तक चुनाव आयोग खुद जनता के सामने यह साफ-साफ नहीं बताएगा कि नाम हटाने या जोड़ने का मापदंड क्या है, तब तक जनता का उस पर भरोसा करना मुश्किल होगा।
पीके ने चुनाव आयोग से मांगा गारंटी
प्रशांत किशोर का कहना है कि बिहार जैसे राजनीतिक रूप से जागरूक राज्य में अगर लोगों को लगेगा कि मतदाता सूची के साथ कोई छेड़छाड़ हो रही है, तो उसका असर चुनावी नतीजों पर पड़ सकता है। प्रशांत किशोर ने चुनाव आयोग से अपील की है कि वह मतदाता सूची में किसी भी संशोधन से पहले जनता को भरोसे में ले, सभी नियमों को सार्वजनिक करे और यह गारंटी दे कि मतदाता सूची निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से तैयार की जाएगी।