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Aditya-L1: भारत अब चांद पर है। वहीं चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब भारत की नजर सूरज की ओर है। जिसके बाद इसरो आदित्य-एल1 लॉन्च करने के लिए तैयार है। जिसको बाद इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ ने आदित्य-एल1 की पूरी जानकारी देते हुए बताया कि, आदित्य-एल1 के लॉन्चिंग की उल्टी गिनती आज से शुरू हो जाएगी। इस बीच भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया में हिन्दुस्तान के इस सूर्य मिशन को लेकर दिलचस्पी बढ़ी है। लोग इस मिशन की लॉन्चिंग को देखने के लिए काफी इंतजार कर रहे हैं। वही आज का सबसे बड़ा सवाल ये है कि, आदित्य-एल 1 कब लॉन्च होगा। जिसकी जानकारी देते हुए बता दें कि, आदित्य-एल1 के लॉन्चिंग की उल्टी गिनती शुक्रवार को शुरू होगी। इसके बाद दो सितंबर को सुबह 11.50 बजे यह मिशन आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा।
मिली जानकारी के अनुसार बता दें कि, इसरो ने आदित्य एल-1 की लॉन्चिंग दुनिया को दिखाने के लिए खास इंतजाम किए हैं। संस्थान ने अपनी वेबसाइट पर आदित्य एल-1 के लॉन्च को श्रीहरिकोटा स्थित केंद्र से सीधा दर्शकों को दिखाने के लिए व्यू गैलरी की सीटें बुक करने का विकल्प दिया था। हालांकि, इसके लिए सीमित सीटें ही थीं, जो कि रजिस्ट्रेशन शुरू होने के बाद ही भर गईं। इतना ही नहीं इसरो की वेबसाइट isro.gov.in पर जाकर दर्शक आदित्य एल-1 की लॉन्चिंग का सीधा प्रसारण देख सकते हैं और पल-पल के अपडेट्स हासिल कर सकते हैं। इसके अलावा यूजर्स इसरो के वेबसाइट और यूट्यूब चैनल पर भी लॉन्च को लाइव स्ट्रीम कर सकते हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को सौर कोरोना (सूर्य की सबसे बाहरी परतों) के दूरस्थ अवलोकन और एल-1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा के यथास्थिति अवलोकन के लिए बनाया गया है। एल-1 पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है। वहीं इसरो के मुताबिक, सूर्य हमारे सबसे करीब मौजूद तारा है। यह तारों के अध्ययन में हमारी सबसे ज्यादा मदद कर सकता है। इससे मिली जानकारियां दूसरे तारों, हमारी आकाश गंगा और खगोल विज्ञान के कई रहस्य और नियम समझने में मदद करेंगी। हमारी पृथ्वी से सूर्य करीब 15 करोड़ किमी दूर है। आदित्य एल1 वैसे तो इस दूरी का महज एक प्रतिशत ही तय कर रहा है, लेकिन इतनी सी दूरी तय करके भी यह सूर्य के बारे में हमें ऐसी कई जानकारियां देगा, जो पृथ्वी से पता करना संभव नहीं होता।
विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी): भारतीय ताराभौतिकी संस्थान (बंगलूरू) ने बनाया। यह सूर्य के कोरोना और उत्सर्जन में बदलावों का अध्ययन करेगा।
सोलर अल्ट्रा-वॉयलेट इमेजिंग टेलिस्कोप (सूट): खगोल विज्ञान व खगोल भौतिकी अंतर-विश्वविद्यालय केंद्र (पुणे) ने बनाया। यह सूर्य के फोटोस्फीयर और क्रोमोस्फीयर की तस्वीरें लेगा। यह निकट-पराबैंगनी श्रेणी की तस्वीरें होंगी, यह रोशनी लगभग अदृश्य होती है।
सोलेक्स और हेल1ओएस: सोलर लो-एनर्जी एक्स रे स्पेक्ट्रोमीटर (सोलेक्स) और हाई-एनर्जी एल1 ऑर्बिटिंग एक्स रे स्पेक्ट्रोमीटर (हेल1ओएस) बंगलूरू स्थित यूआर राव सैटेलाइट सेंटर ने बनाए। इनका काम सूर्य एक्सरे का अध्ययन है।
एसपेक्स और पापा: भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (अहमदाबाद) ने आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (एसपेक्स) और अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (तिरुवनंतपुरम) ने प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (पापा) बनाया है। इनका काम सौर पवन का अध्ययन और ऊर्जा के वितरण को समझना है।
मैग्नेटोमीटर (मैग): इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स सिस्टम्स प्रयोगशाला (बंगलूरू) ने बनाया। यह एल1 कक्षा के आसपास अंतर-ग्रहीय चुंबकीय क्षेत्र को मापेगा।