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Adhir Ranjan Chowdhury: लोकसभा चुनाव में हार के बाद शनिवार रात बंगाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन को हटा दिया गया। उनकी जगह शुभंकर सरकार को बंगाल कांग्रेस का नया अध्यक्ष बनाया गया है। शुभंकर सरकार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने के बाद बंगाल की राजनीति के समीकरण पर सवाल उठ रहे हैं। सवाल उठ रहे हैं कि क्या कांग्रेस द्वारा इस तरह अधीर को हटाना ममता सरकार के सामने सरेंडर है।
वरिष्ठ पत्रकारों का कहना है कि अधीर चौधरी लगातार तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी का विरोध कर रहे थे। अधीर चौधरी का तर्क था कि तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी कांग्रेस को खत्म करने का काम कर रही हैं। तृणमूल कांग्रेस के साथ रहकर बंगाल में कांग्रेस का उत्थान नहीं हो सकता। वह लगातार कांग्रेस को कमजोर कर रही है। अधीर चौधरी के विरोध के कारण ही लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच गठबंधन नहीं हो पाया था। ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर ऐसे व्यक्ति को नियुक्त किया है, जो न केवल ममता बनर्जी से समझौता करने के पक्ष में है, बल्कि उसका राजनीतिक कद भी अधीर रंजन चौधरी जैसा नहीं है।
ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व अपनी बात आसानी से रख सकेगा। जिस तरह से लोकसभा चुनाव और हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ताकत बढ़ी है, उससे कांग्रेस को उम्मीद है कि उसकी ताकत और बढ़ेगी। ऐसे में कांग्रेस को राष्ट्रीय राजनीति में तृणमूल कांग्रेस की जरूरत पड़ेगी और शुभंकर सरकार को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस ने भविष्य की रणनीति की पृष्ठभूमि तैयार कर दी है, ताकि भविष्य में अगर कांग्रेस को तृणमूल कांग्रेस की जरूरत पड़े, तो वह आसानी से मिल सके। क्योंकि कांग्रेस नेतृत्व का मानना है कि फिलहाल कांग्रेस बंगाल में अपने दम पर विस्तार नहीं कर सकती। उसे तृणमूल कांग्रेस की जरूरत है। तृणमूल कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव जीतकर यह साबित भी कर दिया है।