अशोका यूनिवर्सिटी के गिरफ्तार प्रोफेसर की याचिका पर आज सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

फिल्मी कार्नर

News by Goldi   05 May, 2025 19:42 PM

Samay Raina: स्टैंड-अप कॉमेडियन और यूट्यूबर समय रैना एक बार फिर कानूनी मुश्किलों में फंस गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उनके खिलाफ एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें और चार अन्य प्रभावशाली हस्तियों को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने इन सभी को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है, अन्यथा कठोर कार्रवाई की चेतावनी दी है। यह मामला समय रैना के शो 'इंडियाज गॉट लेटेंट' में कथित तौर पर दिव्यांग व्यक्तियों और दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित लोगों के खिलाफ की गई असंवेदनशील टिप्पणियों से संबंधित है।

 

मामला और कोर्ट की कार्रवाई
 
सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका क्योर एसएमए फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने दायर की थी। एनजीओ का आरोप है कि समय रैना और उनके सहयोगी कॉमेडियनों- विपुल गोयल, बलराज परमजीत सिंह घई, सोनाली ठक्कर उर्फ सोनाली आदित्य देसाई, और निशांत जगदीश तनवर ने अपने शो में स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) जैसी गंभीर बीमारी और दिव्यांग व्यक्तियों का मजाक उड़ाया। याचिका में कहा गया कि ऐसी टिप्पणियां न केवल असंवेदनशील हैं, बल्कि समाज में इन समुदायों के लिए चलाए जा रहे समावेशी प्रयासों को भी नुकसान पहुंचाती हैं।
 
जस्टिस सूर्या कांत और जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह की खंडपीठ ने मामले को गंभीर बताते हुए मुंबई पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिया कि वह इन पांचों व्यक्तियों को नोटिस तामील करवाएं और अगली सुनवाई में उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करें। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि ये लोग पेश नहीं हुए, तो उनके खिलाफ जबरन कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, कोर्ट ने केंद्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार, और अन्य संबंधित निकायों को भी नोटिस जारी किया है, ताकि ऑनलाइन सामग्री के लिए नियामक दिशानिर्देशों पर विचार किया जा सके।
 
 
पहले भी विवादों में रहे हैं समय रैना
 
समय रैना का यह पहला कानूनी विवाद नहीं है। इससे पहले उनके शो 'इंडियाज गॉट लेटेंट' में यूट्यूबर रणवीर इलाहबादिया द्वारा की गई एक अश्लील टिप्पणी के कारण भी वह सुर्खियों में आए थे। उस मामले में रणवीर को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली थी, जब कोर्ट ने अप्रैल 2025 में उनके पासपोर्ट को वापस करने का आदेश दिया था। हालांकि, समय रैना पर लगातार असंवेदनशील टिप्पणियों के आरोप लगते रहे हैं। खास तौर पर, एक दो महीने के शिशु के लिए 16 करोड़ रुपये की इंजेक्शन की आवश्यकता पर उनकी टिप्पणी ने व्यापक आलोचना बटोरी थी।
 
 
आगे क्या होगा?
 
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील को निर्देश दिया कि वह इस तरह की टिप्पणियों के खिलाफ थेरेपिस्ट और दंडात्मक उपायों का सुझाव दे। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि स्वतंत्र अभिव्यक्ति का अधिकार कमजोर समुदायों को अपमानित करने की छूट नहीं देता। इस मामले की अगली सुनवाई में समय रैना और अन्य की उपस्थिति अनिवार्य होगी, और यह देखना दिलचस्प होगा कि कोर्ट इस मामले में क्या फैसला सुनाता है।
 
 
 

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