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Pak Delegation in US: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक समर्थन जुटाने के लिए एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल विदेशों में भेजा, जिससे पाकिस्तान की पोल अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खुलती जा रही है। भारत की इस रणनीति की नकल करते हुए पाकिस्तान ने भी विदेशों में अपनी छवि सुधारने के लिए बिलावल भुट्टो के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल अमेरिका भेजा, लेकिन यह दांव उल्टा पड़ गया। वाशिंगटन डीसी में अमेरिकी सांसद ब्रैड शेरमैन ने पाकिस्तानी डेलिगेशन को जमकर लताड़ लगाई और आतंकवाद, अल्पसंख्यक उत्पीड़न और मानवाधिकार उल्लंघन पर उनकी जमकर क्लास ली।
आतंकवाद पर शेरमैन ने लताड़ा
शेरमैन ने पाकिस्तान को दो टूक शब्दों में कहा कि जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि अमेरिका और दुनिया को ऐसे समूहों से सख्ती से निपटने की आवश्यकता है, खासकर जब ये संगठन सीधे अमेरिकी नागरिकों की हत्या में शामिल रहे हैं। शेरमैन ने 2002 में वॉल स्ट्रीट जर्नल के पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या की याद दिलाते हुए कहा कि इस जघन्य अपराध में जैश-ए-मोहम्मद की संलिप्तता थी और पाकिस्तान को अब और ढील नहीं देनी चाहिए।
इतना ही नहीं, शेरमैन ने डॉ. शकील अफरीदी की रिहाई की मांग भी रखी, जिन्होंने ओसामा बिन लादेन का पता लगाने में अमेरिका की मदद की थी। अफरीदी को पाकिस्तान ने 33 साल की सजा दे रखी है, और उनकी रिहाई को शेरमैन ने 9/11 के पीड़ितों के लिए न्याय की दिशा में अहम कदम बताया।
अपने ही आतंकवाद के जाल में फंसा पाकिस्तान
शेरमैन यहीं नहीं रुके। उन्होंने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर भी गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में ईसाई, हिंदू और अहमदिया समुदाय लगातार उत्पीड़न, हिंसा और भेदभाव का शिकार हो रहे हैं। उन्होंने पाकिस्तान से आग्रह किया कि वह अल्पसंख्यकों को बिना डर अपने धर्म का पालन करने और लोकतांत्रिक तरीके से जीने का अधिकार सुनिश्चित करे।