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SC vs Allahabad HBCA : लोकतंत्र का तीसरा स्तंभ न्यायिक व्यवस्था इस देश में सबसे ऊपर है। नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना, अपराधियों को सजा देना और भ्रष्टाचारी नेताओं पर शिकंजा कसना इस न्यायिक व्यवस्था के मूल कार्य हैं, ताकि समाज को सभ्य बनाया जा सके। लेकिन क्या हो अगर यही न्यायाधीश एक दूसरे के आमने सामने आ जाएं और एक दूसरे द्वारा लिए गए फैसलों को गलत ठहराने लगे। ऐसे में कॉमन सेंस (जो कॉमन नहीं रही) कहती है कि कोई एक न्यायाधीश तो गलत है। अब बाकी का सेंस आप ख़बर पढ़कर खुद लगाए।
'इलाहाबाद HC कूड़ेदान नहीं है'
आज न्याय की बात इसलिए क्योंकि इलाहाबाद बार एसोसिएशन ने चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के फैसले का विरोध किया है। दरअसल दील्ली हाइकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर से करोड़ों का कैश बरामद हुआ, जिसके बाद उनपर बड़ा एक्शन लेते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना ने उन्हें दिल्ली से इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया। अब इलाहाबाद बार एसोसिएशन ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट कोई कूड़ाघर नहीं है, जहां भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे जजों को भेज दिया जाए।
क्या है पूरा मामला?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के घर में आग लगी थी, जिसे बुझाने के लिए पत्नी ने फायर ब्रिगेड को बुलाया। आग बुझने के दौरान 15 करोड़ रुपये बरामद हुए। मामले की जानकारी पुलिस ओर चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को हुई।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए उनका स्थानांतरण इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया। इसके बाद बार एसोसिएशन ने इस फैसले का विरोध करते हुए पत्र जारी किया और साफ शब्दों में कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट को भ्रष्टाचार का अड्डा नहीं बनने देंगे।
'न्यायपालिका में बढ़ रहा भ्रष्टाचार'
बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कहा कि यह फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट को कमजोर करने की साजिश लगती है। उन्होंने यह भी कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट पहले से ही न्यायाधीशों की कमी से जूझ रहा है। जजों की संख्या कम होने के कारण नए मामलों की सुनवाई में महीनों लग जाते हैं, जिससे जनता का न्यायपालिका पर भरोसा कमजोर हो रहा है।
बार एसोसिएशन ने यह भी आरोप लगाया कि जब नए जजों की नियुक्ति होती है, तो बार से कोई परामर्श नहीं लिया जाता। इससे गलत तरीके से पदोन्नति दी जाती है, जिससे न्यायपालिका में भ्रष्टाचार बढ़ रहा है।
आगे क्या होगा?
इस पूरे मामले को लेकर 24 मार्च को बार एसोसिएशन की आकस्मिक आम सभा बुलाई गई है। इस बैठक में सभी सदस्यों के साथ चर्चा कर अगला कदम तय किया जाएगा। बार एसोसिएशन ने साफ कर दिया है कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ेंगे और न्यायपालिका की गरिमा को गिरने नहीं देंगे।
जनता पर असर
अब देखना होगा कि 24 मार्च की बैठक में क्या फैसला लिया जाता है और इस मामले में न्यायपालिका क्या कदम उठाती है। फिलहाल यह मामला जनता में फैल चुका है और लोग अचंभित है कि अब भ्रष्टाचारी नेताओं को सजा कौन देगा जब जज आपस में ही लड़ रहे हो।