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Piyush Goyal: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर 58 प्रतिशत टैरिफ लगाता है, इन दिनों सुर्खियों में है। ट्रंप का यह दावा अमेरिका के टैरिफ को सही ठहरा रहा था, लेकिन केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने इस पर सफाई देते हुए सच्चाई का खुलासा किया है।
गोयल ने 7 अप्रैल को स्पष्ट किया कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर 58 प्रतिशत नहीं बल्कि केवल 7-8 प्रतिशत शुल्क लगाता है। उनका कहना था कि यह शुल्क पूरी तरह से वैश्विक व्यापार के मानकों के अनुरूप है और किसी भी दृष्टिकोण से ज्यादा नहीं है।
क्या बोले पीयूष गोयल?
पीयूष गोयल ने भारत की व्यापार नीति को लेकर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि भारत अपने व्यापारिक रिश्तों को निष्पक्षता और पारदर्शिता के आधार पर संचालित करता है। उनका मानना है कि भारत उन देशों के साथ व्यापार समझौते कर सकता है, जो निष्पक्ष व्यापार गतिविधियों का पालन करते हैं। गोयल के अनुसार, भारत ने हमेशा व्यापारिक नीतियों को संतुलित बनाए रखने की कोशिश की है, और इसका उद्देश्य देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करना है।
गोयल ने यह भी बताया कि अमेरिका ने हाल ही में भारतीय उत्पादों पर 26 प्रतिशत रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया है। उन्होंने इसे अनुचित बताया और कहा कि यह कदम दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों के लिए हानिकारक हो सकता है। गोयल ने कहा, "अगर अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क लगाया है, तो यह भी व्यापार के नियमों के खिलाफ है, और इसका नकारात्मक प्रभाव दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ सकता है।"
चीन पर साधा निशाना
इसके साथ ही, गोयल ने चीन की व्यापार नीतियों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि चीन के अनुचित व्यापार तरीकों के कारण वैश्विक व्यापार में असंतुलन और समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। गोयल ने यह भी स्पष्ट किया कि चीन की कार निर्माता कंपनी BYD का भारत में प्रवेश इस समय जरूरी नहीं है, क्योंकि उनके व्यापारिक तरीके भारतीय बाजार के लिए उपयुक्त नहीं हैं।
आखिरकार, गोयल ने भारत की शुल्क प्रणाली को लेकर कहा कि यह डंपिंग जैसे अवैध व्यापार व्यवहारों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए है। उनका कहना था कि यह नीति भारत को उन देशों से बचाने के लिए है, जो अपने उत्पादों को कृत्रिम रूप से सस्ते में बेचकर वैश्विक बाजार में असंतुलन पैदा करते हैं। गोयल ने यह भी बताया कि अगर निष्पक्ष व्यापार नीतियों वाले देश एक साथ आकर काम करें, तो यह भारत के लिए एक सुनहरा अवसर साबित हो सकता है।