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Pahalgam Attack: भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारतीय सेना ने सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया है। कार्रवाई के तहत छह आतंकवादियों के घरों को ध्वस्त कर दिया गया है और ऑपरेशन अभी भी जारी है। इस घटना ने न सिर्फ देश की सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क किया है, बल्कि केंद्र सरकार को भी कड़े फैसले लेने पर मजबूर कर दिया है। पहलगाम हमले में 26 की मौत के बाद पूरे देश में आक्रोश है। इसी के साथ सरकार पर मासूमों की जान का बदला लेने का दबाव भी है।
इस हमले में आतंकियों ने सीधा मोदी सरकार को चुनौती दी है, इसलिए यह प्रधानमंत्री की साख पर भी सवाल उठाता है। हालांकि सरकार ने कई बड़े एक्शन लिए हैं और आगे भी उम्मीद है कि भारत युद्ध स्तर पर भी कुछ कर सकता है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इस पूरे घटनाक्रम के बीच सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक अहम एडवाइजरी जारी की है। इसमें मीडिया संस्थानों, समाचार एजेंसियों और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को रक्षा अभियानों और सुरक्षा बलों की गतिविधियों का सीधा प्रसारण न करने की सलाह दी गई है। मंत्रालय ने करगिल युद्ध, 2008 के मुंबई हमले और कंधार विमान अपहरण जैसी घटनाओं का हवाला देते हुए कहा है कि लाइव कवरेज से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है और शत्रु तत्वों को जानकारी मिल सकती है।
सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए हैं। सबसे बड़ा निर्णय सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से रद्द करना रहा, जिससे पाकिस्तान पर जल संकट गहराने की आशंका है। इसके अलावा भारत ने सार्क वीजा की सुविधा को भी रद्द कर दिया है, जिससे क्षेत्रीय संपर्क पर प्रभाव पड़ेगा। साथ ही, सभी पाकिस्तानी राजनयिकों को देश छोड़ने का आदेश भी दे दिया गया है। इन कदमों से भारत ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया है कि वह अपनी संप्रभुता और सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं करेगा।
भारत-पाक तनाव की इस स्थिति में सरकार का रुख बेहद सख्त और स्पष्ट है। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उठाए गए ये कदम आने वाले दिनों में क्षेत्रीय राजनीति और दोनों देशों के रिश्तों पर गहरा असर डाल सकते हैं।