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Mohammad Yunus: बांग्लादेश की सियासत तख्तापलट के बाद से ही गहरे संकट के दौर से गुजर रही है। इन दिनों नोबेल पुरस्कार विजेता और बांग्लादेश की सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस के इस्तीफे की अटकलें तेज हो गई हैं। बीबीसी बांग्ला की रिपोर्ट के मुताबिक, यूनुस ने मौजूदा हालात को लेकर गहरी नाराजगी जताई है और साफ कहा है कि मौजूदा राजनीतिक माहौल में काम करना उनके लिए बेहद मुश्किल हो गया है।
यूनुस का इस्तीफा संभव
गुरुवार को ढाका में एडवाइजरी काउंसिल की एक अहम बैठक में यूनुस ने देश की राजनीतिक स्थिति पर चिंता जताई। इस बैठक के बाद छात्र नेता और नेशनल सिटिजन पार्टी के प्रमुख नाहिद इस्लाम ने दावा किया कि यूनुस खुद को "बंधक जैसा महसूस कर रहे हैं" और इस्तीफे पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। इस्लाम ने कहा कि जब तक राजनीतिक दल आपसी सहमति नहीं बनाते, यूनुस काम करने में असमर्थ हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर उन्हें राजनीतिक समर्थन नहीं मिलता तो उनके पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है।
सेना प्रमुख ने युनुस को दिया अल्टीमेटम
यूनुस से मुलाकात करने वालों में छात्र नेता नाहिद इस्लाम के अलावा वरिष्ठ नेता महफूज आलम भी शामिल थे। दिलचस्प बात यह है कि एक दिन पहले ही बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने दिसंबर तक चुनाव कराने का अल्टीमेटम देकर राजनीतिक दबाव को और बढ़ा दिया।
सूत्रों के अनुसार, बांग्लादेश-म्यांमार सीमा पर प्रस्तावित मानवीय गलियारे को लेकर सेना और सरकार के बीच टकराव और गहरा गया है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यूनुस सरकार ने अमेरिका के साथ एक गुप्त समझौता किया, जिससे सेना खासी नाराज है।
बांग्लादेश में छात्र आंदोलन तेज
इस बीच, देशभर में छात्र संगठनों और विपक्षी दलों के विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। विपक्ष ने चुनाव की मांग के साथ-साथ सरकार में शामिल महफूज आसिफ और खलीलुर्रहमान को बाहर किए जाने की मांग को लेकर आंदोलन छेड़ दिया है। बांग्लादेश की सियासत जिस मोड़ पर खड़ी है, वहां से आगे का रास्ता सिर्फ आम सहमति और लोकतांत्रिक संवाद से ही निकलेगा—वरना इस्तीफों और आंदोलन की यह आंधी और तेज हो सकती है।