Bangladesh: विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस (3 मई 2025) के मौके पर बांग्लादेश में मीडिया स्वतंत्रता की स्थिति को लेकर चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। अगस्त 2024 में शेख हसीना की सरकार के पतन और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद, देश में पत्रकारों और संपादकों पर अभूतपूर्व दबाव बढ़ा है। एक भारतीय अधिकार समूह, राइट्स एंड रिस्क्स एनालिसिस ग्रुप (RRAG) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले आठ महीनों में 640 पत्रकारों को निशाना बनाया गया, जिसमें आपराधिक मामले, हिंसा, और प्रेस मान्यता रद्द करना शामिल है।
संपादकों की बर्खास्तगी और गिरफ्तारियां
अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद, जुलाई-अगस्त 2024 के जनआंदोलन के बाद मीडिया क्षेत्र में बड़े बदलाव देखे गए। अजकर पत्रिका के संपादक गोलम रहमान ने खुलासा किया कि कई प्रमुख समाचार पत्रों और टेलीविजन चैनलों के संपादकों को उनके पदों से हटा दिया गया, जबकि कुछ को गिरफ्तार भी किया गया। कम से कम 182 पत्रकारों पर आपराधिक मामले दर्ज किए गए, 206 पर हिंसक हमले हुए, और 167 की प्रेस मान्यता रद्द कर दी गई। इसके अलावा, बांग्लादेश फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट ने 85 वरिष्ठ पत्रकारों के खिलाफ जांच शुरू की, जिसे प्रेस स्वतंत्रता पर हमले के रूप में देखा जा रहा है।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में सुधार, लेकिन चुनौतियां बरकरार
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) के विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2025 में बांग्लादेश 16 पायदान चढ़कर 149वें स्थान पर पहुंच गया, जो भारत (151) और पाकिस्तान से बेहतर है। हालांकि, यह सुधार कागजी लगता है, क्योंकि जमीनी हकीकत में पत्रकारों को सेंसरशिप, धमकियों, और हिंसा का सामना करना पड़ रहा है। प्रोथोम आलो और डेली स्टार जैसे कुछ स्वतंत्र समाचार पत्र अभी भी संपादकीय स्वतंत्रता बनाए हुए हैं, लेकिन उन पर भी सरकारी दबाव बढ़ रहा है।
सरकार का दावा और आलोचना
मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार का दावा है कि उसने मीडिया स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए एक मीडिया सुधार आयोग का गठन किया है। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि शेख हसीना के शासन से विरासत में मिले दमनकारी तंत्र अभी भी सक्रिय हैं। हाल ही में, जुलाई 2024 के जनआंदोलन पर सवाल उठाने वाले तीन पत्रकारों को 24 घंटे के भीतर नौकरी से निकाल दिया गया, जिससे सरकार की मंशा पर सवाल उठे। इसके अलावा, ढाका में एक महिला पत्रकार के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना ने सुरक्षा चिंताओं को और बढ़ा दिया।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता
मीडिया फ्रीडम कोएलिशन और ह्यूमन राइट्स वॉच ने बांग्लादेश में पत्रकारों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने की मांग की है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अंतरिम सरकार से दमनकारी कानूनों, जैसे साइबर सिक्योरिटी एक्ट, को निरस्त करने का आग्रह किया है।
बांग्लादेश में प्रेस स्वतंत्रता एक नाजुक दौर से गुजर रही है। अंतरिम सरकार के सुधारवादी वादों के बावजूद, पत्रकारों पर बढ़ता दबाव और हिंसा लोकतंत्र के लिए खतरा है। विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस ने इन मुद्दों को वैश्विक मंच पर लाकर यह सवाल उठाया है कि क्या बांग्लादेश सही मायनों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की ओर बढ़ रहा है।
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