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राष्ट्रीय

News by Goldi   11 May, 2025 20:34 PM

Bangladesh: बांग्लादेश की राजनीति में एक बार फिर उथल-पुथल मची है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग की मान्यता रद्द होने की कगार पर है। अंतरिम सरकार, जिसका नेतृत्व नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस कर रहे हैं, वो आतंकवाद विरोधी कानून के तहत अवामी लीग की सभी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस फैसले के बाद अब बांग्लादेश चुनाव आयोग (BCI) अंतरिम सरकार के औपचारिक नोटिफिकेशन का इंतजार कर रहा है, जिसके आधार पर अवामी लीग का पंजीकरण रद्द किए जानें की संभावना है।

 

सरकार का कड़ा रुख

शनिवार रात को मोहम्मद यूनुस की अध्यक्षता में हुई आपात बैठक में अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया गया। कानूनी सलाहकार असीफ नजरुल ने बताया कि यह प्रतिबंध आतंकवाद विरोधी अधिनियम और अंतरराष्ट्रीय अपराध (अदालत) अधिनियम के तहत लगाया गया है। सरकार का यह कहना है कि अवामी लीग और इसके नेताओं के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण में मुकदमे पूरे होने तक यह प्रतिबंध लागू रहेगा। यह कदम देश की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए उठाया गया है।   

 

चुनाव आयोग की भूमिका

मुख्य चुनाव आयुक्त एएमएम (AAMS) नसीरुद्दीन ने कहा कि यदि सरकार की ओर से औपचारिक अधिसूचना जारी होती है, तो चुनाव आयोग बैठक कर अवामी लीग का पंजीकरण रद्द करने पर विचार करेगा। बांग्लादेश के कानून के अनुसार, यदि किसी पार्टी का पंजीकरण रद्द होता है, तो वह आम चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकती। यह अवामी लीग के लिए एक बड़ा  झटका हो सकता है, क्योंकि देश में 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत में आम चुनाव होने की संभावना है। 
 
 
पार्टी का इतिहास और संकट

1949 में स्थापित अवामी लीग ने दशकों तक बांग्लादेश की आजादी और राजनीति में अहम रोल निभाई। शेख हसीना के देख-रेख में पार्टी ने पिछले 16 वर्षों तक सत्ता संभाली, लेकिन 5 अगस्त 2024 को छात्रों के नेतृत्व में हुए हिंसक जनविद्रोह के बाद हसीना को भारत भागना पड़ा। इसके बाद यूनुस ने अंतरिम सरकार का नेतृत्व संभाला। अवामी लीग के कई नेता और पूर्व मंत्री हत्या, भ्रष्टाचार और मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोपों का सामना कर रहे हैं।
 
अगर अवामी लीग का पंजीकरण रद्द होता है, तो यह बांग्लादेश की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम यूनुस सरकार की स्थिति को और मजबूत कर सकता है, लेकिन साथ ही यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवाल भी उठा सकता है। सभी की नजरें अब अंतरिम सरकार के अगले कदम और चुनाव आयोग के फैसले पर टिकी हैं। 
 
 

 

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