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दिल्ली

News by Shubham   07 Aug, 2023 16:34 PM

Delhi Service Bill:  दिल्ली की सत्ता में गर्माहट के बीच आज यानी 7 अगस्त को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह राज्यसभा में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक 2023 पेश करेंगे। जानकारी के लिए बता दें कि, इससे पहले तीन अगस्त को  राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार संशोधन विधेयक लोकसभा से पारित कर दिया गया था। जहां विधेयक पर हुई चाढ़े चार घंटे की चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने विपक्ष के रवैये पर सवाल उठाया था। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि,  विपक्ष को देशहित, दिल्ली के हित की चिंता नहीं बल्कि गठबंधन बचाने की चिंता है। इसके बाद केंद्रीय गृहमंत्री ने उसके बाद एक सवाल पूछा था कि, आज विपक्ष को मणिपुर हिंसा की याद क्यों नहीं आ रही? विपक्ष आज प्रधानमंत्री को सदन में बुलाने की मांग क्यों नहीं कर रहा? इससे पहले भी जब नौ विधेयक पारित हुए, तब विपक्ष ने चर्चा में हिस्सा क्यों नहीं लिया?

आप और कांग्रेस ने जारी किया व्हिप

मिली जानकारी के अनुसार बता दें कि, राज्यसभा में दिल्ली अध्यादेश पेश होने से पहले आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने अपने सभी राज्यसभा सांसदों को 7 और 8 अगस्त को सदन में उपस्थित रहने के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी की है। जिसमें दोनो पार्टियों के राज्यसभा सांसदों को आज और कल सासंद में पेश होने का निर्देश दिया गया है।

विधेयक पास होने की संभावना हुई तेज

राज्यसभा में पेश होने पर कई सारी बातें सामने आ रही थी। लेकिन उसके बाद अब ये अनुमान लगाए जा रहे है कि, अब इस विधेयक के पेश होने की संभावना बढ़ गई है। बता दें कि, केंद्र सरकार इस विधेयक को सोमवार यानी आज को राज्यसभा में पेश करने वाली है। जिसके बाद विपक्षी एकता की मुहिम से दूरी बनाने वाले दलों बीजेडी, टीडीपी, वाईएसआरसीपी ने उच्च सदन में विधेयक का समर्थन करने की घोषणा की है। इसके साथ-साथ बसपा ने राज्यसभा में मतदान से अनुपस्थित रहने का फैसला किया है। इन दलों के समर्थन के बाद उच्च सदन में भी विधेयक के पारित होने का रास्ता अब साफ होता हुआ नजर आने लगा है।

विधेयक का लक्ष्य 

जानकारी के लिए बता दें कि, दिल्ली क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम में संशोधन कर अधिकारियों की नियुक्ति, स्थानांतरण पर फैसला लेने के लिए प्राधिकरण बनाने का प्रावधान है। वहां आपको ये भी बता दें कि, इस प्राधिकरण में मुख्यमंत्री को भी शामिल किया गया है। वहीं इस मामले में फैसला लेने का अंतिम अधिकार उपराज्यपाल को दिया गया है।

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