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इजरायल और ईरान के बीच हाल ही में शुरू हुई सैन्य तनातनी अब थमती नजर आ रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सीधी पहल के बाद दोनों देशों के बीच संघर्ष फिलहाल थम गया है। हालांकि, जानकारों का मानना है कि यह ठहराव असल में इजरायल, ईरान और अमेरिका तीनों के लिए अपने-अपने तरीके से 'सफलता' बताने का मौका बन गया है।
इजरायल को मिली बड़ी सैन्य सफलता
विशेषज्ञों का कहना है कि इजरायल ने इस मौके का फायदा उठाते हुए ईरान के कई परमाणु और मिसाइल ठिकानों को नष्ट कर दिया। यह उसके लिए एक सैन्य सफलता है। इसके साथ ही इजरायल को गाजा पट्टी में हो रहे संघर्षों और उस पर लगे युद्ध अपराधों के आरोपों से लोगों का ध्यान हटाने में भी मदद मिली है।
ईरान ने भी दिखाई ताकत
दूसरी तरफ ईरान भी इस टकराव को एक मौके की तरह इस्तेमाल कर रहा है। उसने इजरायल को सीमित लेकिन सख्त जवाब देकर यह दिखाने की कोशिश की कि वह भी पीछे हटने वालों में से नहीं है। इसके साथ ही ईरान की कोशिश थी कि युद्ध सीमित रहे ताकि अमेरिका से सीधा टकराव न हो। इसके लिए सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामनेई ने एक सुरक्षित बंकर से हमले की रणनीति तय की, लेकिन साफ निर्देश दिए कि हमले सीमित रहें।
ट्रंप के नरम रुख की थी उम्मीद
ईरानी नेतृत्व को उम्मीद थी कि अगर हमले सीमित रखे जाएं और अमेरिका को पहले से चेतावनी दी जाए, तो ट्रंप का रुख नरम हो सकता है। और ठीक यही हुआ। ईरान ने कुछ मिसाइलें अमेरिकी सैन्य अड्डों पर दागीं, लेकिन इनमें से 13 मिसाइलों को अमेरिका ने पहले ही मार गिराया। ट्रंप ने इसे न्यूनतम नुकसान बताया और ईरान को अग्रिम चेतावनी देने के लिए धन्यवाद भी दिया।
अमेरिका का दावा- ‘शांति का मसीहा’
इसके कुछ ही घंटे बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संघर्ष विराम की घोषणा कर दी। इस पूरे घटनाक्रम में अमेरिका ने एक तरफ ईरान के ठिकानों पर हमला कर अपनी सैन्य ताकत दिखाई, और दूसरी ओर संघर्ष को थामकर खुद को ‘शांति स्थापित करने वाला’ देश बताने की कोशिश की।
जंग में किसे क्या मिला?
इजरायल:
अमेरिका की चेतावनी के बावजूद उसकी मदद लेकर ईरान के खतरनाक परमाणु और मिसाइल प्रोजेक्ट्स को नुकसान पहुंचाया। साथ ही गाजा संघर्ष से दुनिया का ध्यान हटाने में सफल रहा।
ईरान:
भले ही उसे नुकसान हुआ हो, लेकिन वह इजरायल को जवाब देने और अमेरिकी दबाव से बाहर निकलने की कोशिश में अपनी ‘ताकत’ दिखाने का दावा कर सकता है।
अमेरिका:
एक तरफ ईरान पर हमला कर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया, वहीं दूसरी तरफ युद्ध रोककर दुनिया के सामने शांति दूत बनने की कोशिश की। साथ ही खुद को किसी बड़े नुकसान से भी बचा लिया।
इस संघर्ष के रुकने से फिलहाल हालात शांत हैं, लेकिन जानकारों का मानना है कि यह अस्थायी विराम है और आने वाले समय में हालात फिर से बिगड़ सकते हैं। सभी की निगाहें अब इस पर टिकी हैं कि ये देश आगे क्या कदम उठाते हैं।