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राष्ट्रीय

News by Neha   01 May, 2025 21:51 PM

Caste Census: 'कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना' केंद्र सरकार ने इस कहावत को साफ तौर पर प्रमाणित करते हुए बीते बुधवार को आगामी जनगणना में जातिगत जनगणना को शामिल करने की घोषणा की। 30 अप्रैल को जब पीएम मोदी की बैक टू बैक 5 बड़ी बैठके हुई जिसके बाद पूरे देश को इंतजार था कि कब टीवी चैनलों में पाकिस्तान पर मिसाइल दागने की खबर मिले। लेकिन मिसाइल का रूप बदलकर उसे भारत की तरफ मोड़ दिया गया। नाम था जाति जनगणना यानी Caste Census। चलिए जानते हैं कि हम इसे एक मिसाइल क्यों रह रहे हैं।

रंग लाई राहुल गांधी की मेहनत

सालों से जाति जनगणना के लिए अभियान चला रहे नेता विपक्ष राहुल गांधी का सपना अंततः पूरा हो रहा है।  30 अप्रैल को केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ऐलान किया कि भारत सरकार अब जनसंख्या जनगणना के साथ जाति जनगणना भी कराएगी। वैसे तो भाजपा ने इसे सामाजिक उत्थान का प्रयास बताया लेकिन असल में पूरा श्रेय तो विपक्ष और खासकर राहुल गांधी को जाता है। भले ही नेहरू से लेकर इंदिरा और पटेल तक इतिहास में किसी भी कांग्रेसी ने इसका समर्थन नहीं किया, लेकिन फिर भी ऐलान होते ही राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि ' झुकती है दुनिया, झुकाने वाला चाहिए।' उनके नेताओं ने भी साफ कह दिया कि भले ही सरकार भाजपा की हो लेकिन सिस्टम तो उनका ही है। 

Congres Poster

जाति जनगणना के ऐलान के बाद विपक्ष में खुशी लहर दौड़ पड़ी है। तेजस्वी यादव से लेकर समाजवादियों तक, सभी ने इसे अपने पुरखों के परिश्रम का फल बताया है। 

मोदी जी का मास्टरस्ट्रोक 

केंद्र सरकार के इस फैसले ने असल में विपक्ष समेत आम जनता को भी बड़ा झटका दिया, क्योंकि विपक्ष पर जाति जनगणना के नाम राजनीति चमकाने का आरोप लगाने वाली भाजपा ने अचानक अपने विचार बदल लिए और इसे समाज में पिछड़ों को उभारने का एक कारक बताया।

महाराष्ट्र चुनाव में 'एक हैं तो सेफ हैं' और 'बंटेंगे तो कटेंगे' के दम चुनाव जीतने वाली पार्टी जब 'कौन जात हो भैया ' पूछेगी तो जाहिर सी बात है उनके प्रवक्ताओं का अपनी पार्टी के इस बदलाव का बचाव करना मुश्किल होगा , लेकिन फिर भी  'मोदी जी का मास्टरस्ट्रोक' और विश्वास करो, जनगणना के पीछे बड़ा मकसद छुपा है' बोलकर सोशल मीडिया पर तो काम चलाया ही जा रहा है। 

कितनी लाभकारी होगी जाति जनगणना?

स्वतंत्र भारत में पहली बार जाति जनगणना होगी। यह जाति जनगणना अगली जनसंख्या जनगणना के साथ ही होगी। यह भारत का  ऐसा फैसला है जिसका भारतीय राजनीति और समाज पर बहुत बड़ा असर होगा। इससे पहले 1931 में यानी अविभाजित भारत में ब्रिटिश शासन द्वारा जाति जनगणना कराई गई थी। आशा है (जो बाद में निश्चित रूप से निराशा में बदल जाएगी) कि जाति जनगणना जाति की राजनीति का हथियार न बने और यह भारतीय समाज को विभाजित न करे। इसके लिए जरूरी है कि जनगणना के आंकड़ों का सही उपयोग किया जाए और समाज में पहले से मौजूद जातिवाद की खाई और गहरी न हो। 

 

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