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राष्ट्रीय

News by Shubham   25 Jun, 2025 11:58 AM

25 जून 1975 को देश में आपातकाल लागू किया गया था। इस घटना को आज 50 साल पूरे हो गए हैं। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस दौर को याद करते हुए कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला बोला और उस समय को भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे "काला अध्याय" बताया।

'लोकतंत्र को बंधक बना लिया गया था'
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 25 जून 1975 को जब आपातकाल लगाया गया, तो तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र को बंदी बना लिया था। उस समय देश में संविधान की मूल भावना का उल्लंघन हुआ। संसद को चुप करा दिया गया और अदालतों पर दबाव डालने की कोशिश की गई।

'42वां संविधान संशोधन एक बड़ा उदाहरण'
पीएम मोदी ने कहा कि उस दौर में कांग्रेस सरकार ने 42वां संविधान संशोधन किया, जो यह दिखाता है कि उन्होंने कैसे लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश की। उन्होंने आरोप लगाया कि उस समय गरीबों, दलितों और समाज के हाशिए पर खड़े लोगों को सबसे ज्यादा परेशान किया गया और उनका अपमान हुआ।

'आपातकाल के खिलाफ लड़ने वालों को सलाम'
प्रधानमंत्री ने उन सभी लोगों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने उस समय आपातकाल का विरोध किया और लोकतंत्र को बचाने के लिए संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि ये लोग देश के अलग-अलग हिस्सों से और अलग-अलग विचारधाराओं से थे, लेकिन उनका एक ही मकसद था – भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को बचाना।

'कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा'
पीएम मोदी ने कहा कि इन संघर्षों की वजह से ही कांग्रेस सरकार को मजबूरी में लोकतंत्र को बहाल करना पड़ा और चुनाव कराना पड़ा। इन चुनावों में कांग्रेस को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा।

'हम गरीबों और वंचितों के सपने पूरे करेंगे'
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि आज का भारत संविधान में दिए गए सिद्धांतों को मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। हमारा सपना है कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाया जाए और गरीबों तथा वंचितों के सपनों को पूरा किया जाए।

'तब मैं आरएसएस का प्रचारक था'
आपातकाल के समय को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जब आपातकाल लगा, तब वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के एक युवा प्रचारक थे। उन्होंने बताया कि उस समय उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला, और इसने उन्हें लोकतंत्र की अहमियत समझाई।

उन्होंने बताया कि ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन ने आपातकाल से जुड़े उनके अनुभवों को एक किताब में संकलित किया है। इस किताब का नाम है "द इमरजेंसी डायरीज" और इसकी प्रस्तावना पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने लिखी है, जो खुद भी उस समय के विरोधी आंदोलन में शामिल थे।

'लोग साझा करें अपने अनुभव'
अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने जनता से अपील की कि अगर कोई व्यक्ति या उसके परिवार ने उस दौर में पीड़ा झेली हो, तो वह अपने अनुभवों को सोशल मीडिया पर जरूर साझा करे। इससे आज की पीढ़ी को 1975 से 1977 तक के उस कठिन समय के बारे में जानकारी मिलेगी और लोकतंत्र की अहमियत को समझने में मदद मिलेगी।

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